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भारत की जीडीपी दर दो साल में 1% से ज़्यादा होगी, आईएमएफ़ अर्थशास्त्री ने कहा

लॉकडाउन से तबाह भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले दो साल यानी 2020-2021 के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर 1 प्रतिशत से थोड़ी अधिक होगी। 
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने गुरुवार को एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 2020-2021 के दौरान भारत की जीडीपी 1 प्रतिशत से थोड़ी तेज़ रफ़्तार से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यह बहुत मजबूत वृद्धि दर नहीं है, पर दूसरे कई देशों में भी ऐसा ही होने की संभावना है। 
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उन्होंने कहा, 

'भारत की अर्थव्यवस्था इस साल अविश्वसनीय ढंग से गिरी है। अब यह खुल रही है, स्वास्थ्य संकट भी ठीक हो रहा है, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो रहा है, भारत भी इससे उबरेगा।'


गीता गोपीनाथ, मुख्य अर्थशास्त्री, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

गीता गोपीनाथ के ऐसा कहने के एक दिन पहले यानी बुधवार को आईएमएफ़ ने कहा था कि इस साल भारत की जीडीपी में 4.50 प्रतिशत की कमी आएगी। 

मोदी को सलाह

आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह भी दी है। उनका सुझाव है कि 'भारत जाँच की क्षमता बढाए, सबसे ग़रीब तबके के लोगों को सीधे नकद दे और इस संकट का इस्तेमाल आर्थिक सुधारों को मजबूत करने में करे।'

चीन की तारीफ

गीता गोपीनाथ ने चीन की तारीफ की। उन्होंने कहा कि 'बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन में तेज़ी से विकास हो रहा है। ऐसा दूसरा कहीं पाना मुश्किल है। संकट से उबरने की उसकी रफ़्तार सबसे तेज़ है। इससे यह पता चलता है कि चीन वायरस को तेज़ी से रोकने में कामयाब हुआ है, उसके यहां कंटेनमेंट अवधि छोटी रही है।'  
इसके पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा था कि साल 2020 में भारत में आर्थिक मंदी पहले के अनुमान से ज़्यादा होगी। नतीजतन, भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति बदतर होगी। 

आईएमएफ़ ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि हालाँकि आर्थिक मंदी पूरी दुनिया में ही होगी, पर भारत में मंदी अनुमान से ज़्यादा होगी। इसका यह भी कहना है कि अमेरिका-चीन में व्यापार संधि का यह नतीजा ज़रूर होगा कि पूरी दुनिया में मंदी की रफ़्तार कम हो जाएगी।
इसके पहले मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा था कि भारत को आर्थिक सुस्ती रोकने के लिए कदम तुरन्त उठाने चाहिए। उन्होंने दिल्ली में कहा था कि भारत अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को चलाने वाला महत्वपूर्ण इंजन है, लेकिन गिरती खपत, निवेश, कम होते कर राजस्व और दूसरी वजहों से दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लग गया है। 
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क़मर वहीद नक़वी

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