loader

आरएसएस के संगठन ने कहा- छोटे व्यापार के लिए केंद्र के क़र्ज़ पैकेज में देरी

छोटे व्यापार के लिए केंद्र सरकार ने जो क़र्ज़ के पैकेज की घोषणा की है उसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े संगठन को ही गड़बड़ियाँ दिखने लगी हैं। आरएसएस से जुड़े लघु उद्योग भारती ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कहा है कि निजी बैंक माइक्रो, छोटे और मध्यम उद्योगों यानी एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ की क्रेडिट स्कीम को शुरू करने में देरी कर रहे हैं। इसने यह भी कहा है कि सरकारी बैंक भी कुछ ज़्यादा ही जानकारी माँग रहे हैं। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लघु उद्योग भारती के महासचिव गोविंद लेले को फ़ीडबैक लेने के लिए बुलाया था। उन्होंने मुलाक़ात के दौरान एमएसएमई क्षेत्र के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना यानी ईसीएलजीएस पर प्रतिक्रिया माँगी थी। 

ताज़ा ख़बरें

बता दें कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बाद से एमएसएमई सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है। इसी स्थिति से एमएसएमई को उबारने के लिए सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इस क़र्ज़ के लिए उद्यमों को किसी तरह का कोलैटरल नहीं देना होगा, किसी गारंटी की भी ज़रूरत नहीं होगी। इस स्कीम के तहत लिए गए क़र्ज़ का भुगतान एक साल तक नहीं करने की छूट होगी। यह स्कीम प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए की गई क़रीब 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा का ही हिस्सा है। 

मुलाक़ात के दौरान लेले ने छोटे व्यापार में आने वाली दिक्कतें निर्मला सीतारमण के सामने रखीं। 'पीटीआई' की रिपोर्ट के अनुसार, लेले ने मंत्री को बताया कि निजी क्षेत्र के बैंक योजना क्रियान्वित करने में देरी कर रहे हैं इसीलिए उन बैंकों को तत्काल निर्देश दिये जाने की ज़रूरत है। लेले ने वित्त मंत्री से कहा, 'भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने योजना के तहत क़र्ज़ देना शुरू कर दिया है, लेकिन शाखा के स्तर पर क़र्ज़ मंजूरी से पहले कंपनियों से तीन साल के राजस्व और लाभ के अनुमान के बारे में जानकारियाँ माँगी जा रही हैं।'

अर्थतंत्र से और ख़बरें
उन्होंने कहा कि अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए बैंक अधिकारी उच्च मूल्य वाले ऋण खातों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि सरकार योजना में धन के आनुपात के अनुसार मंजूरी के लिए बैंकों को निर्देश दे। लघु उद्योग भारती ने सीतारमण से इस योजना में ग़ैर-अनुसूचित सहकारी बैंकों को शामिल करने का आग्रह किया है क्योंकि उनके पोर्टफोलियो में बड़ी संख्या में एमएसएमई ऋण खाते हैं।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें