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मॉब लिंचिंग पीड़ितों ने कहा, हमारी जान को ख़तरा

झारखंड में गो रक्षकों के आतंक से पीड़ित दो परिवारों ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी जान को ख़तरा है और उन्हें सुरक्षा दी जाए। ये दोनों परिवार मज़लूम अंसारी और इम्तियाज़ ख़ान के हैं। जिनकी दो साल पहले लातेहार में कथित गो रक्षकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

इन दोनों के परिवारों ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और कहा कि उनको धमकियाँ मिल रही हैं। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इम्तियाज़ के पिता आज़ाद ख़ान और माँ नज़मा बीबी ने कहा कि बेटे की मौत के बाद उनका जीवन बर्बाद हो गया है। किसी और हमले की आशंका से घबराए आज़ाद ख़ान को अपनी दुकान बंद करनी पड़ी और अपने छोटे बेटे का स्कूल जाना बंद करा दिया है। नज़मा बीबी ने कहा कि उनके पास अपनी बेटियों की शादी करने के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने सरकार से माँग की कि उन्हें आर्थिक मदद और नौकरी दी जाए। 

प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मज़लूम अंसारी की पत्नी सायरा बीबी और मज़लूम के बड़े भाई अफ़ज़ल ने कहा कि मज़लूम की हत्या के बाद से ही उन्हें काफ़ी मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है। सायरा और नज़मा ने राज्य सरकार से ग़ुज़ारिश की है कि वे हत्यारों को जमानत न दें। दोनों परिवारों ने स्थानीय प्रशासन से मिली 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि को लेने से इनकार कर दिया था। पीड़ित परिवारों का कहना था कि यह बहुत कम है। 

दो साल पहले अंसारी और इम्तियाज़ एक मेले में अपने पशुओं को बेचने के लिए ले जा रहे थे तभी रास्ते में उन पर हमला किया गया था। इसके बाद उनके शव पेड़ से लटके मिले थे। इम्तियाज़ की उम्र उस समय सिर्फ़ 12 साल थी। तब इसे लेकर ख़ासा हंगामा भी हुआ था। 

इस मामले में पिछले हफ़्ते ही एक स्थानीय अदालत ने मनोज साहू, प्रमोद साव, अवधेश साव, मिथलेश साव, बिशाल तिवारी, मनोज कुमार साव, सहदेव सोनी और अरुण साव को दोषी करार दिया था।

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क़मर वहीद नक़वी

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