बताया, क्यों चुना मेरठ को
लोकसभा चुनाव का एलान होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मेरठ में पहली रैली को संबोधित कर बीजेपी के चुनाव प्रचार का औपचारिक आगाज किया। इस मौक़े पर प्रधानमंत्री मोदी ने यह कहने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई कि मेरठ से उन्होंने बीजेपी के चुनाव प्रचार की शुरुआत क्यों की। मोदी ने लोगों को याद दिलाया कि 1857 में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह का बिगुल मेरठ से ही फूंका गया था और फिर यहीं से बग़ावत की हवा पूरे देश में फैली थी।यह अलग बात है कि इस बग़ावत को अंग्रेजों ने कुचल दिया और भारत को अंग्रेजों से आज़ादी के लिए अगले 90 सालों को इंतजार करना पड़ा। इतिहास में 1857 की इस लड़ाई को स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई के रूप में जाना जाता है। 1857 की लड़ाई और मेरठ का जिक़्र कर मोदी दरअसल देश को यह संदेश दे रहे हैं कि वह देश के दुश्मनों से लड़ रहे हैं। यह बात तब और पुष्ट हुई जब मोदी ने अपने भाषण में विपक्षी दलों पर किसी भी तरीक़े की नरमी नहीं दिखाई और उनको पाकिस्तान परस्त, आतंकवादियों का हितैषी और देश के जांबाज़ सिपाहियों की जांबाज़ी का सबूत माँगने वाला क़रार दिया।
मोदी ने आज उड़ी और पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र तो नहीं किया लेकिन उन्होंने कहा, ‘मैं देशवासियों से पूछना चाहता हूँ कि हमें सबूत चाहिए या सपूत।मेरे देश के सपूत ही मेरे सबसे बड़े सबूत हैं। जो सबूत माँगते हैं, वे सपूत को ललकारते हैं।’
विपक्ष को रखा निशाने पर
मोदी ने रैली में बिना लागलपेट कहा, ‘विपक्षी नेताओं में यह होड़ मची है कि कौन पाकिस्तान में ज़्यादा पॉपुलर होगा। वहाँ की मीडिया में कौन सबसे ज़्यादा छाया हुआ है।’ फिर मोदी ने लोगों से पूछा, ‘आपको हिंदुस्तान के हीरो चाहिए या पाकिस्तान के।’
मोदी के मुताबिक़, यह फ़ैसला देश की सुरक्षा के लिए बहुत पहले लिया जाना चाहिए था लेकिन इसे टाला जाता रहा। फिर उन्होंने अपने ख़ास अंदाज में यह बताने की कोशिश की कि देश विपक्ष के हाथों में सुरक्षित नहीं है।
प्रधानमंत्री ने रैली में कहा, ‘ये लोग भारत को हमेशा कमजोर बनाकर रखना चाहते हैं। मैं इनसे जानना चाहता हूँ कि किसके इशारे पर, किसको फायदा पहुँचाने के लिए आप लोग ऐसा ढुलमुल रवैया अपनाते हैं।’
मोदी ने यह भी साबित करने की पूरी कोशिश की देश को मजबूत और निर्णायक फ़ैसला करने वाले नेतृत्व की ज़रूरत है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर किसी तरह का समझौता न करे। वह अपनी पीठ थपथपाने से भी नहीं चूके।
मोदी ने कहा कि आज जब देश अपनी सामर्थ्य बढ़ा रहा है, अपनी ताक़त बढ़ा रहा है, अंतरिक्ष में चौकीदारी कर रहा है तो कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है।
मोदी ने यह जताने की कोशिश की कि वह अकेले ऐसे शख़्स हैं जिसके हाथों में देश सुरक्षित है। उन्होंने कहा, ‘मैं देश के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगाने के लिए तैयार रहने वाला व्यक्ति हूँ। कोई भी राजनीतिक दबाव, कोई भी अंतरराष्ट्रीय दबाव आपके इस चौकीदार को डिगा नहीं पाएगा और न डरा पाएगा।’
राहुल पर किया जोरदार हमला
मोदी ने भाषण में राहुल गाँधी पर भी क़रारा वार किया। उन्होंने कहा कि एक ऐसा आदमी है जो रंगमंच की बात करता है, ये चिंता और हंसी दोनों का विषय है। उन्होंने लोगों से पूछा, आप बताइए कि आप ऐसे आदमी के बारे में क्या कहेंगे जिसको थिएटर सेट और ए सेट में फर्क़ नहीं मालूम।
बता दें कि सैटेलाइट मार गिराने वाले परीक्षण पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मोदी पर तंज कसा था और कहा था कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को मैं मुबारकबाद देता हूँ। इस बयान के साथ ही राहुल गाँधी ने मोदी पर तंज कसा और इशारों-इशारों में उनके राष्ट्र के संबोधन को नौटंकी क़रार दिया। राहुल ने कहा था, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी को विश्व रंगमंच दिवस की बधाई देता हूँ।’
राहुल गाँधी ने रफ़ाल के मसले पर मोदी पर गहरे वार किए थे और एक नया नारा दिया था - चौकीदार चोर है। इस पर मोदी ने भी पलटवार किया और ‘मैं भी चौकीदार’ के एक नये नारे का इजाद किया और चौकीदार शब्द को अपने चुनाव प्रचार के नारे का प्रमुख हथियार बनाया।
मोदी ने मेरठ में कहा, ‘चौकीदार कभी अन्याय नहीं करता, यह आपका चौकीदार इंसाफ़ करता है। और जो इंसाफ़ नहीं करते उनको सजा दिलाता है।’
मोदी के तेवरों से साफ़ है कि वह इस चुनाव में राष्ट्रवाद को एक बड़े मुद्दे के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। जहाँ वह यह साबित करना चाहते हैं कि वह राष्ट्र के साथ खड़े हैं और विपक्षी नेताओं का जमावड़ा देशहित के ख़िलाफ़ काम कर रहा है।
अब सवाल यह है कि क्या मोदी की यह कोशिश चुनाव में कामयाब होगी और लोग बेरोज़गारी और किसानों की ख़राब हालत जैसे बड़े मुद्दे को नज़रअंदाज कर देंगे। हालाँकि मोदी ने भाषण में यह दावा किया कि देश की 130 करोड़ की जनता ने अपना मन बना लिया है कि 2019 के चुनाव में वह किसको सरकार में देखना चाहती है।
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