loader

संघ को इतिहास के पन्नों में घसीटकर बीजेपी को पटखनी देंगे राहुल?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी द्वारा कांग्रेस के 60 साल के ‘कुशासन’ का जवाब क्या कांग्रेस संघ, गोडसे और सावरकार के इतिहास पर सवाल उठाकर देगी? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के भाषणों को देख कर तो ऐसा ही कुछ लगता है। ऐसे ही एक भाषण को लेकर राहुल के ख़िलाफ़ शुक्रवार को महाराष्ट्र में एक केस दर्ज़ कराया गया है। इसमें विनायक दामोदर सावरकर को डरपोक बोलने का आरोप लगाया गया है। इससे पहले एक ऐसा ही मामला साल 2014 में भी दर्ज़ कराया गया था जिसमें राहुल ने महात्मा गाँधी की हत्या के तार आरएसएस से जुड़े होने का आरोप लगाया था। तब इतिहास के पन्ने पलटे गए थे और इस पर नयी बहस छिड़ी थी।

अब सवाल यह उठता है कि क्या राहुल गाँधी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आज़ादी के आन्दोलन की भूमिका और उसके नेताओं के योगदान पर एक नई बहस कराना चाहते हैं?

क्या राहुल गाँधी चाहते हैं कि गोडसे और सावरकर जैसे नेताओं की भूमिका पर अदालतों में बहस हो और इतिहास के वे दस्तावेज उस पीढ़ी के सामने आये जो इससे अनजान है?

राहुल गाँधी के इस रुख पर साल 2014 में कांग्रेस के रणनीतिकार कहते थे कि गाँधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे के संघ के संबंधों पर जब बहस शुरू होगी तो वे सारे साक्ष्य अदालत में पेश होंगे जिनके आधार पर गोडसे को सजा हुई थी। उस हत्याकांड में किसने मदद की थी उसका नाम भी आएगा। यानी आज की युवा पीढ़ी जिसने गाँधी हत्याकांड के बारे में ज़्यादा पढ़ा नहीं है उसके सामने सारे तथ्य परत दर परत खुलेंगे। 

डरपोक बोलने पर दर्ज़ हुआ केस 

60 साल में कांग्रेस ने क्या किया, यह बताने के साथ-साथ राहुल यह भी बोलते हैं कि देश में बँटवारे की राजनीति कौन करता है और राष्ट्रपिता गाँधी को किसने मारा। ऐसे ही एक भाषण को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पर शुक्रवार को महाराष्ट्र में एक और मामला दर्ज़ हुआ। पुणे जिले के सिंहगढ़ थाने में यह मामला राहुल गाँधी द्वारा विनायक दामोदर सावरकर को डरपोक बोलने का है। 

  • कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के ख़िलाफ़ यह शिकायत विश्वजीत देशपांडे, निर्मल देशपांडे और श्रीपद कुलकर्णी की ओर से दर्ज़ कराई गई है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि 7 फ़रवरी को दिल्ली में कांग्रेस अल्पसंख्यक शाखा के कार्यक्रम में राहुल गाँधी ने ‘फ़्रिडम फ़ाइटर’ वीर सावरकर के लिए आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल किया था। मीडिया से बात करते हुए शिकायतकर्ताओं ने कहा कि राहुल की इस टिप्पणी से उनकी भावनाएँ आहत हुई हैं। 
राहुल ने सावरकर के बार में कहा था कि चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हो या फिर बीजेपी, पीएम मोदी हों या सावरकर, सब के सब डरपोक हैं! तब राहुल रफ़ाल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री पर हमला बोल रहे थे।

राहुल के बयान पर 2014 में भी पलटे गए थे इतिहास के पन्ने

यह पहला मामला नहीं है जब राहुल के ख़िलाफ़ संघ से जुड़े लोगों पर बयान को लेकर रिपोर्ट दर्ज़ करायी गई है। एक ऐसा ही मामला साल 2014 में भी दर्ज़ हुआ था। 7 जुलाई 2014 को भिवंडी की एक रैली में राहुल गाँधी ने कहा था कि आरएसएस के लोगों ने महात्मा गाँधी की हत्या की थी। राहुल के इस बयान के ख़िलाफ़ आरएसएस की भिवंडी शाखा के सचिव राजेश कुंटे ने उनके ख़िलाफ़ मानहानि का मुकदमा दर्ज़ कराया था जिसमें दावा किया गया है कि राहुल के इस बयान से आरएसएस की छवि धूमिल हुई है और उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची है।

भिवंडी के मामले में राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत आरोप तय किए गए। इस मामले में जज के समक्ष राहुल गाँधी ने कहा था, ‘मैं दोषी नहीं हूँ और इस लड़ाई को लड़ूँगा।’ पत्रकारों के समक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि यह विचारधारा की लड़ाई है जिसमें हम जीतेंगे। राहुल गाँधी के अदालत में पेश होने से पूर्व ये चर्चाएँ थीं कि वह अपने बयान पर ख़ेद व्यक्त कर देंगे और मामला यहीं ख़त्म हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 
  • तो क्या इस मामले में आरएसएस और बीजेपी वही कर रहे हैं जो राहुल गाँधी चाहते हैं? संघ और सावरकर पर राहुल गाँधी के आये दिन आक्रमण को इसी नज़रिये से देखा जा रहा है। वह इस नये इंडिया में इतिहास के उस अध्याय की चर्चा कराना चाहते हैं जो काला है और जिसमें संघ और उसके नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाये जाते रहे हैं।
राहुल गाँधी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हैं और नरेंद्र मोदी व बीजेपी उनके 60 साल के शासन को बुरा शासन कहकर प्रचारित करती रहती है। कांग्रेस और राहुल गाँधी इसका जवाब संघ, गोडसे और सावरकर के उस इतिहास के द्वारा देना चाहते हैं जिसे आज लोग भूल चुके हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में संघ के नेताओं के आज़ादी में योगदान या फिर सावरकर वीर थे या उन्होंने अंग्रेजों से माफ़ी माँगकर जेल से अपनी रिहाई कराई थी, इसके दस्तावेज़ आये दिन पोस्ट होते रहते हैं और उन पर तर्क-वितर्क भी होते हैं। लेकिन अब देखना यह है कि राहुल अपनी रणनीति में कितना कामयाब हो पाते हैं।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजय राय

अपनी राय बतायें

चुनाव 2019 से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें