मध्य प्रदेश में कांग्रेस के जिन 16 विधायकों से कमलनाथ सरकार ने उम्मीद बांध रखी थी, उन्होंने रविवार सुबह वीडियो बयान जारी करते हुए दो टूक कह दिया है कि उन्होंने ‘इस्तीफ़े स्वेच्छा से दिए हैं।’
मध्य प्रदेश की 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार क्या अब चंद घंटों की मेहमान है? यह सवाल राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री को शनिवार और रविवार की दरमियानी रात भेजे गए ख़त के बाद उठाया जा रहा है।
विधानसभा स्पीकर ने सिंधिया समर्थक उन छह विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए हैं जो कमलनाथ काबीना में सदस्य थे और जिन्हें बगावत के चलते मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।
पिछले विधानसभा चुनाव में ‘माफ़ करो महाराज’ का नारा उछालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘सुर’ भी बदला हुआ है और अब वह कह रहे हैं - स्वागत है महाराज, साथ हैं शिवराज।’
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गद्दारी सिंधिया राजघराने के खून में है और 1857 की क्रांति में इस राजघराने ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से गद्दारी की तथा कठिन समय में ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस से गद्दारी की है।
कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि पार्टी को इस्तीफ़ा भेजकर सिंधिया में आस्था जताने वाले 19 विधायकों में आधे से ज्यादा विधायक बीजेपी में जाने को राजी नहीं हैं।
क्या बीजेपी को भी अपने विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त का डर है। अगर ऐसा नहीं होता तो वह अपने विधायकों को मंगलवार रात को ही भोपाल से दिल्ली और फिर गुड़गांव क्यों लेकर आती।
डी.के. शिवकुमार ने दावा किया है कि वह बाग़ी विधायकों के संपर्क में हैं और बाग़ी विधायक जल्दी वापस लौटेंगे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस के 19 विधायक पुलिस की हिरासत में हैं।
सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और उनके समर्थक विधायकों (छह मंत्री भी शामिल) के विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के बाद अब नाथ सरकार का बच पाना नामुमकिन हो गया है।