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कोरोना: दिल्ली में जाँच नहीं हुई तो भोपाल पहुँचा मरीज़, मौत के बाद एमपी में हड़कंप

दिल्ली में जाँच नहीं हो पाई तो एक मरीज़ जाँच कराने भोपाल पहुँचा। लेकिन इलाज में इतनी देर हो गई थी कि मरीज़ की मौत हो गई। जाँच रिपोर्ट में कोरोना वायरस की पुष्टि के बाद मध्य प्रदेश में हड़कंप मच गया और जहाँ-जहाँ मरीज़ गया था वहाँ लोगों में ख़ौफ़ है। कोविड-19 के इस रोगी को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की दो बड़ी लापरवाहियों ने कई सारे सवाल खड़े कर दिये हैं। दिल्ली की ‘चूक’ से मध्य प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। लापरवाही और चूक की वजह से एक परिवार तो जार-जार हो गया है।

दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले वीरेंद्र नेकिया शनिवार सुबह भोपाल एक्सप्रेस से भोपाल पहुँचे थे। एस-10 में उनका रिजर्वेशन हुआ था। भोपाल पहुँचने के बाद सबसे पहले वे शासकीय जयप्रकाश चिकित्सालय पहुँचे। यहाँ उनके कोरोना से जुड़े टेस्ट हुए। टेस्ट के बाद उन्हें हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया। सरकारी अस्पताल हमीदिया में रविवार तड़के उनकी मौत हो गई। रविवार दोपहर बाद आयी जाँच रिपोर्ट में सामने आया है कि वीरेंद्र ‘कोविड-19’ से ग्रस्त थे।

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हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डाॅक्टर ए.के. श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि वीरेंद्र को जब अस्पताल लाया गया था तब उनकी हालत बेहद गंभीर थी। वीरेंद्र का ऑक्सीजन लेबल महज 35 था। नॉर्मल कोर्स में यह 95 होता है। तत्काल उन्हें वेटिंलेटर पर लिया गया। ऑक्सीजन लेबल बढ़ाने के तमाम प्रयास के साथ ज़रूरी उपचार दिया जाता रहा। पूरी कोशिश के बावजूद ऑक्सीजन के ज़रूरी 60 लेबल को वीरेंद्र टच नहीं कर पाये और रविवार तड़के चार बजे उनकी मृत्यु हो गई।

बेटे का आरोप- दिल्ली में जाँच नहीं हुई

कोरोना से मारे गये वीरेंद्र के बेटे आदित्य ने दिल दहलाने वाली दास्ताँ सुनाई है। वीरेंद्र भोपाल के ही मूल निवासी थे। वीरेंद्र के भाई नरेंद्र नेकिया भोपाल में ही रहते हैं। आदित्य उन्हीं (रिश्ते में चाचा हुए) के पास रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। नरेंद्र नेकिया जयप्रकाश चिकित्सालय की लैब में टेक्निशयन हैं।

आदित्य के अनुसार उनके पिता वीरेंद्र को पिछले आठ-दस दिनों से बुखार आ रहा था। दिल्ली में वह संजीवनी क्लीनिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से दवा लेते रहे। आराम नहीं लगा तो बड़े अस्पतालों में गये। उनकी कोई सुध नहीं ली गई। कोरोना के साफ़ लक्षणों के बावजूद ज़रूरी जाँच तक नहीं की गई। समुचित उपचार नहीं मिलने की वजह से हालत बिगड़ती चली गई।

वीरेंद्र ने भोपाल में रहने वाले भाई को बताया तो उन्होंने भोपाल आने की सलाह दी। रिजर्वेशन करवाकर वीरेंद्र भोपाल आ गये। कोरोना की जाँच हुई। अस्पताल में भर्ती किया गया। मगर देर हो चुकी थी। तमाम कोशिशों के बाद भी वीरेंद्र को बचाया नहीं जा सका।

मुश्किल में परिवार

नेकिया परिवार की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। आदित्य के अनुसार उनके पिता की मौत की ख़बर सुनकर दिल्ली में उनकी माँ को अस्थमा अटैक आ गया। उसकी 15 साल की बहन उन्हें लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल गई। कोई उनकी माँ की सहायता को आगे नहीं आया। बेसुध महिला डेढ़ घंटे ऑटो में पड़ी रहीं। फिर नोएडा के निजी अस्पताल ले जाना पड़ा। अब उनकी माँ हाॅस्पिटल में हैं, बहन घर में क्वॉरेंटीन में हैं। आदित्य शिकायत करते हैं कि उनकी माँ से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है।

इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं

अब सवाल है कि समय रहते वीरेंद्र का उपचार दिल्ली में ही क्यों नहीं किया गया? क्यों यहाँ-वहाँ भटकने को वह मजबूर होते रहे? कोरोना के तमाम लक्षणों के बावजूद समय रहते उनकी जाँच आख़िर क्यों नहीं की गई?

दूसरा बड़ा सवाल यह है कि यदि उनमें कोरोना के सभी लक्षण थे तो कैसे वह भोपाल एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होने में कामयाब हुए? रेलवे स्टेशनों पर ‘कोविड-19’ की जाँच-पड़ताल के रेलवे मंत्रालय के बड़े-बड़े दावे हैं। कैसे वे जांच दलों की निगाह से बचकर ट्रेन में सवार हो पाये? और वह कैसे बिना जाँच किए ही भोपाल स्टेशन से बाहर निकल गए?

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मध्य प्रदेश में मचा हुआ है हड़कंप

भोपाल पहुँचने से लेकर हमीदिया अस्पताल में भर्ती होने के बीच वीरेंद्र जहाँ-जहाँ पहुँचे वहाँ हड़कंप मचा हुआ है। रविवार दोपहर बाद वीरेंद्र के ‘कोविड-19’ पाॅजीटिव होने संबंधी रिपोर्ट आयी थी। इसके पहले शनिवार सुबह से लेकर हमीदिया अस्पताल में भर्ती होने के पहले वे जेपी हॉस्पिटल गये। वहाँ काफ़ी वक़्त रुके रहे। अस्पताल के उस हिस्से को सैनेटाइज किया गया है, जहाँ वीरेंद्र रहे थे।

इसके अलावा नरेंद्र जहाँ रहते हैं, उसे हिस्से को कंटेनमेंट ज़ोन में बदल दिया गया है। नरेंद्र के बेटे आदित्य को अस्पताल में क्वॉरेंटीन किया गया है। आदित्य ने रविवार शाम पिता का भदभदा विश्राम घाट में अंतिम संस्कार किया था। अंतिम संस्कार में शामिल रहे अन्य परिजनों पर भी निगाह रखी जा रही है।

एस-10 कोच के मुसाफिरों की ट्रेसिंग

वीरेंद्र नेकिया की कोरोना से मौत की ख़बर के बाद से डीआरएम भोपाल भी हरकत में है। उस ‘एस-10’ कोच के हरेक मुसाफिर की पड़ताल की जा रही है जिन्होंने वीरेंद्र के साथ उस कोच में सफर किया था। मध्य प्रदेश के कई स्टेशनों पर कोच के मुसाफिर उतरे हैं।

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संजीव श्रीवास्तव

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