वक़्त सचमुच ‘बलवान’ होता है। कल तक (मुख्यमंत्री रहते) मध्य प्रदेश की जो आईएएस बिरादरी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने ‘नतमस्तक’ हुआ करती थी, उसने आज (सरकार बदलते ही) ‘पलटी’ मारने में गुरेज नहीं किया। एक कलेक्टर को ‘पिट्ठू’ कहने पर राज्य की नौकरशाही ने शिवराज सिंह के ख़िलाफ़ ‘मोर्चा’ खोल दिया है। मध्य प्रदेश में शायद यह पहला अवसर है जब राज्य का आईएएस एसोसिएशन नेताओं की चुनावी बयानबाज़ी में ‘पार्टी’ बनकर सामने आया है।
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के स्टार प्रचारक शिवराज सिंह चौहान बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ के ‘गढ़’ छिंदवाड़ा में थे। छिंदवाड़ा संसदीय सीट में आने वाले चौरई विधानसभा क्षेत्र में उनकी चुनावी सभा हुई। यहाँ के बाद शिवराज सिंह को उमरेठ जाना था। शाम पाँच बजे के बाद छिंदवाड़ा ज़िला प्रशासन ने हेलिकॉप्टर उड़ाने की अनुमति नहीं दी। वक़्त की पाबंदी के मद्देनजर हेलिकॉप्टर शिवराज को लिये बगैर ही भोपाल के लिए उड़ गया।
शिवराज सिंह इससे बेहद ख़फ़ा हो गये। वे सड़क मार्ग से उमरेठ पहुँचे। शिवराज ने हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति नहीं दिये जाने पर छिंदवाड़ा के कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा पर जमकर निशाना साधा। शिवराज ने कहा, ‘ऐ पिट्ठू कलेक्टर सुन ले रे, हमारे दिन भी आयेंगे - तब तेरा क्या होगा?’
उधर, ज़िला प्रशासन ने चुनाव आयोग के निर्देशों का हवाला देकर हेलिकॉप्टर के उड़ान की अनुमति नहीं देने के अपने निर्णय को सही बताया।
कांग्रेस ने की कार्रवाई की माँग
शिवराज के बयान पर गुरुवार को मध्य प्रदेश में राजनीति पूरे दिन गर्म रही। बुधवार को ‘छिंदवाड़ा एपीसोड’ (कलेक्टर को पिट्ठू बताने वाले शिवराज के बयान) पर मध्य प्रदेश कांग्रेस चुनाव आयोग पहुँची। मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को ज्ञापन सौंपते हुए शिवराज सिंह चौहान पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनके चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगाने की माँग की।
सभाओं में अड़चन डाली जा रही है: बीजेपी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलने पहुँचे। बीजेपी की सभाओं में नियमों की आड़ लेकर बेवजह रोड़े अटकाने का आरोप सीईओ मध्य प्रदेश को सौंपे गए ज्ञापन में लगाया। शिवराज ने कहा, ‘छिंदवाड़ा में उनके हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने से रोका जाना अनुचित था। ज़िला प्रशासन के क़दम की वजह से उनके तय कार्यक्रम डिस्टर्ब हुए।’ शिवराज और उनकी पार्टी बीजेपी ने छिंदवाड़ा कलेक्टर को बिना देर किए हटाने की माँग भी चुनाव आयोग से की।
राजनीति गरमाई
यह राजनीति गुरुवार देर शाम तब ज़्यादा गरमा हो गई जब मध्य प्रदेश का आईएएस असोसिएशन, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के ख़िलाफ़ सक्रिय हुआ। असोसिएशन ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के बयान की न केवल निंदा की, बल्कि मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को ख़त लिखकर अपना विरोध दर्ज़ कराया। पत्र में कहा गया कि - ‘पूर्व मुख्यमंत्री का बयान अधिकारियों का मनोबल गिराने वाला है।’ मामले को संज्ञान में लेने और पूर्व मुख्यमंत्री को नैतिकता का ‘पाठ’ पढ़ाये जाने की ‘गुज़ारिश’ भी एसोसिएशन ने अपने पत्र में की है।
मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के पाँच लाइन वाले इस पत्र में पदाधिकारी का नाम नहीं दिया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह पत्र सचिव की ओर से गया है। पत्र में 25 अप्रैल 2019 की तारीख़ दर्ज है। मध्य प्रदेश आईएएस असोसिएशन के सचिव संजय गोयल हैं।
बोलने से बचते रहे अफ़सर
मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के पत्र को लेकर अधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से अधिकारी बचते रहे। ‘सत्य हिन्दी’ ने एसोसिएशन के सचिव गोयल से फ़ोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। मध्य प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (इस तरह की शिकायतों को देखने के लिए तैनात) अरुण कुमार तोमर ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘एसोसिएशन पत्र सौंपने नहीं आया - हो सकता है, एसोसिएशन ने लेटर मेल किया हो। फ़िलहाल मेल देखा नहीं है- लिहाज़ा इससे ज़्यादा कुछ नहीं बता पायेंगे।’
तीन दिन में तीन ‘धमकियाँ’
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के बुधवार को अफ़सर को चेताने संबंधी बयान के पूर्व 23 अप्रैल को सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने भिंड में ट्रैफिक पुलिस कर्मी को मंच पर बुलाकर ‘धमकाया’ था। जबकि 22 अप्रैल को मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने शिवपुरी की एक चुनावी सभा में कहा था, ‘कांग्रेस के एजेंट की तरह पेश आने वाले अधिकारियों को चुन-चुनकर निपटाया जायेगा।’
35 साल में पहली बार हुआ ऐसा!
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और चुनाव विश्लेषक दिनेश गुप्ता ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा कि उन्हें पत्रकारिता में 35 सालों से ज़्यादा का समय हो चुका है। मध्य प्रदेश की नौकरशाही को वे सतत रिपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन इस तरह से खुलकर सामने आ जाये, उन्होंने अपने पत्रकारिता के कैरियर में नहीं देखा है। मध्य प्रदेश के चुनावी और प्रशासनिक इतिहास में इस तरह के पुराने उदाहरणों का स्मरण भी उन्हें नहीं है।
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