शिवसेना और बीजेपी के बीच महाराष्ट्र में सीटों का बँटवारा तय हो गया है। लेकिन एक सवाल भी खड़ा हो गया है कि शिव सेना -बीजेपी के उन सहयोगी दलों का क्या होगा जो केंद्र और महाराष्ट्र में उनकी सरकार में सहयोगी हैं?
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी और शिवसेना में समझौता हो गया है। समझौते के मुताबिक़, लोकसभा की 48 सीटों में से बीजेपी 25 सीटों पर जबकि शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
शिवसेना को यह भरोसा है कि लोकसभा में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए बीजेपी महाराष्ट्र में उसके सामने झुक सकती है जैसे वह बिहार में नीतीश कुमार के आगे झुकी है।
2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए परिस्थितियाँ 2014 जैसी नहीं हैं। शिवसेना के साथ उसके रिश्तों में खटास आ चुकी है। कुछ छोटे दल भी उसका साथ छोड़ चुके हैं।
बीजेपी संग चुनाव लड़ने को लेकर शिवसेना असमंजस में है। पार्टी सांसद इसके पक्ष में हैं तो शिव सैनिक ख़िलाफ़ हैं। प्रशांत को बुलाने के बाद कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
अन्ना हज़ारे लोकपाल की माँग को लेकर रालेगण सिद्धि में धरने पर बैठे थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उन्हें अनशन तोड़ने के लिए मनाने में जुटे थे।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीट बँटवारे को लेकर 45 सीटों पर सहमति बन गई है। हाल ही में राहुल गाँधी और शरद पवार की इसे लेकर बातचीत हुई थी।
राज ठाकरे ने अपने बेटे की शादी के लिए राहुल गाँधी, लालकृष्ण आडवाणी और केंद्र सरकार के कई मंत्रियों को निमंत्रण दिया है, लेकिन पीएम मोदी का आना उन्हें स्वीकार नहीं है।
भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर को राजकीय सम्मान के साथ विदाई नहीं दिए जाने पर महाराष्ट्र सरकार घिर गई है। एनसीपी नेता ने कहा कि श्रीदेवी को राजकीय सम्मान दिलाने में जल्दबाज़ी की गई तो आचरेकर का अपमान क्यों?
हिंदू धर्म में हुए भेदभाव के ख़िलाफ़ दलित अब मुखर होकर आवाज़ उठा रहा है। दलित अब अन्याय होने पर चुप नहीं रहना चाहता और इसका मुहँतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
राजनीतिक ध्रुवीकरण के आरोप झेल रही बीजेपी दलित ध्रुवीकरण के मामले में जो कर रही है, उससे उसके ख़िलाफ़ ही माहौल बन रहा है। न वह दलितों को साध रही है न ही सवर्णों को