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सरकार की आलोचना पर अमोल पालेकर को बोलने से रोका गया

क्या बोलने की आज़ादी वहीं तक सीमित है जहाँ तक सरकार की आलोचना नहीं हो? यह सवाल एक बार फिर तब उठने लगा जब मंझे फ़िल्म निर्माता और अभिनेता अमोल पालेकर को मुंबई के एक कार्यक्रम में बोलने से बार-बार रोकने की कोशिश की गयी। इस पर उनको यहाँ तक कहना पड़ा कि क्या उनके बोलने पर सेंसरशिप लगायी जा रही है। अमोल पालेकर उस कार्यक्रम में पहले से तैयार भाषण लेकर गए थे, लेकिन अफ़सरों की आपत्ति के कारण आख़िरकार उनको भाषण अधूरा छोड़कर बैठना पड़ा। इस घटना के बाद उन्होंने कहा कि वह इस पर चुप नहीं रहेंगे।  

ऐसी स्थिति तब आई जब अमोल पालेकर नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) की आर्टिस्ट एडवाइज़री कमेटी को लेकर बोल रहे थे। उनको बोलने से तब रोकने की बार-बार कोशिश की गई जब वह एनजीएमए के मुंबई और बेंगलुरु केंद्रों की एडवाइजरी कमेटी को कथित रूप से ख़त्म करने के लिए संस्कृति मंत्रालय की आलोचना कर रहे थे। इस एडवाइजरी कमेटी में स्थानीय कलाकारों की भागीदारी होती है। 

अमोल पालेकर ने कहा, ‘कलाकारों की अभिव्यक्ति और कला की विविधता को दिखाने वाले मंच एनजीएमए पर हाल ही किसी का नियंत्रण हो गया है। यह इस ‘वार अगैंस्ट ह्यूमैनिटीज़’ का सबसे ताज़ा शिकार है। मैं सच में परेशान हूँ। इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इस रहस्य को जानने वाले लोगों ने इस एकतरफ़ा आदेश के ख़िलाफ़ न तो आवाज़ उठायी और न ही विरोध किया। उन्होंने इस पर सवाल भी नहीं किया।’

अमोल पालेकर बोढाना आर्ट्स एंड रिसर्च फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित कलाकार प्रभाकर बार्वे की प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) की ओर से किया गया था। एनजीएमए केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है। यह विवाद भी मंत्रालय से जुड़े मसले को लेकर हुआ। 
अमोल पालेकर ने कहा, ‘बार्वे की प्रदर्शनी आख़िरी होगी जिसे स्थानीय कलाकारों वाली एडवाइजरी कमेटी ने तय किया हो। यह प्रदर्शनी इस रूप में भी आख़िरी होगी जिसे कुछ नौकरशाहों या सरकार के एजेंटों ने मोरल पॉलिसिंग या वैचारिक झुकाव के अजेंडे के तहत नहीं किया हो।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा इसलिए क्योंकि 13 नवंबर, 2018 को मुंबई और बेंगलुरु के क्षेत्रीय कार्यालयों में चल रही आर्टिस्ट एडवाइजरी कमेटी को पूरी तरह से ख़त्म कर दिया गया है।’

'प्रदर्शनी तक बात सीमित रखने को कहा'

इस पर एनजीएमए मुंबई की निदेशक अनिता रूपवतरम ने अमोल पालेकर को टोका। पालेकर को बार-बार वहाँ मौजूद कार्यक्रम संचालिका जीसल ठाकेर और मुंबई में पूर्व की एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन रहे सुहास बहुलकर द्वारा भी टोका गया। पालेकर के अनुसार तीनों ने ही उनसे अपनी बात बार्वे की प्रदर्शनी तक सीमित रखने को कहा। 

  • पालेकर ने कहा, ‘2017 में हमें यह जानकर ख़ुशी हुयी कि एनजीएमए की कोलकाता और नॉर्थ-ईस्ट में शाखाएँ खोलने की योजना है। मुंबई इकाई को फैलाने की ख़बर से तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा था। लेकिन 13 नवंबर 2018 को साफ़ तौर पर तबाह करने वाला एक और फ़ैसला लिया गया।’
अमोल पालेकर यह बोल ही रहे थे कि कार्यक्रम का संचालन करने वाली ठाकेर ने फिर से उन्हें टोका और उन्हें बार्वे की कला पर बोलने तक ही सीमित रहने को कहा। इस पर पालेकर ने ठाकेर से पूछा, ‘ क्या आप मुझे नहीं बोलने को कह रही हैं?’

नयनतारा सहगल को याद किया

इसके बाद अमोल पालेकर ने कार्यक्रम में श्रोताओं को लेखक नयनतारा सहगल के साथ हुए वाकये को याद दिलाया। अमोल पालेकर ने कहा कि अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में बोलने के लिए नयनतारा सहगल को बुलाया गया था, लेकिन बाद में आयोजकों ने आमंत्रण वापस ले लिया। उन्होंने आगे जोड़ा कि आयोजकों ने इसके लिए कारण बताया कि उनके नाम पर पहले के हुए विवाद को देखते हुए किसी भी असहज स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
  • इसी के साथ पालेकर ने पूछा, ‘क्या हम यहाँ बिलकुल वैसी स्थिति बना रहे हैं? आप मुझे नहीं बोलने को कह रहे हैं? मैं नहीं बोलूँगा।’

अपने साथ जो हुआ उसे पालेकर सेंशरशिप बता रहे थे लेकिन ठाकेर और बहुलकर ने कहा कि वे सिर्फ़ उनसे आग्रह कर रहे थे। आग्रह वाली बात पर पालेकर ने कहा कि मराठी शब्द ‘गोंडास’ का प्रयोग हमेशा यह आग्रह करने के लिए होता है कि यह नहीं बोलें, वह नहीं बोलें, यह नहीं खाएँ, वह नहीं खाएँ। बाद में अमोल पालेकर अपनी पूरी बात रखे बिना ही अपनी सीट पर जाकर बैठ गये।

  • न्यूज़ वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट के अनुसार, अमोल पालेकर ने कहा कि कार्यक्रम के बाद बातचीत में ठाकेर ने उनसे कहा, ‘एनजीएमए निदेशक ने यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कार्यक्रम में कोई भी सरकार विरोधी बात न हो पाए।’ 

अमोल पालेकर का आरोप

कार्यक्रम में अपने भाषण में अमोल पालेकर ने पहले कहा था, ‘यह तय करने में स्थानीय कलाकारों की सीधे भूमिका होती थी कि प्रदर्शनी की थीम और कंटेंट क्या होगा और किसकी कला की प्रदर्शनी होगी। मुझे यह भी मालूम हुआ है कि 13 नवंबर, 2018 से ये फ़ैसले अब दिल्ली से संस्कृति मंत्रालय लेगा।’ उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए फ़िलहाल पुरानी कमेटी का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब तक नयी कमेटी नहीं गठित की गई है। उन्होंने कहा कि सुहास बहुलकर पुरानी कमेटी में शामिल थे।

एनजीएमए मुंबई निदेशक की सफ़ाई

हालाँकि न्यूज़ वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन से बातचीत में एनजीएमए मुंबई की निदेशक अनिता रूपवतरम ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि एनजीएमए मुंबई की एडवाइजरी कमेटी का कार्यकाल 15 नवंबर, 2018 को ख़त्म हो गया है और इसलिए यह अस्तित्व में नहीं है। उन्होंने कहा,  ‘नयी एडवाइजरी कमेटी जल्द ही गठित होने वाली है। इसलिए यह कहना ग़लत है कि एडवाइजरी कमेटी को ख़त्म कर दिया गया है।

स्क्रॉल की रिपोर्ट में ही कहा गया है कि मुंबई में पूर्व की एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन रहे सुहास बहुलकर कहते हैं कि अनौपचारिक बातचीत में एनजीएमए के अधिकारियों ने उनसे कहा था कि कमेटी का अब गठन नहीं होगा। हालाँकि उन्होंने आगे कहा कि आधिकारिक तौर पर उन्हें ऐसा नहीं कहा गया है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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