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फ़ोटो साभार: फ़ेसबुक/अमिश देवगन

सूफ़ी संत पर टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट से अमिश को राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सूफ़ी संत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में अमिश देवगन को राहत देने से इनकार कर दिया है। यानी उन्हें कोर्ट में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे अलग-अलग राज्यों में दर्ज सभी एफ़आईआर को राजस्थान के अजमेर में ट्रांसफ़र कर दिया है। अलग-अलग राज्यों में अपने ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर को रद्द करने के लिए देवगन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट का यह रुख इसलिए काफ़ी अहम है कि हाल के वक़्त में टीवी चैनलों पर जिस तरह से चीखना-चिल्लाना, बेलगाम डिबेट, अनाप-शनाप तर्क और यहाँ तक कि गाली-गलौच का लाइव प्रसारण हो गया है उसके लिए टीवी और एंकरों की आलोचना की जाती रही है।

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सुप्रीम कोर्ट का यह ताज़ा फ़ैसला उस मामले में आया है जिसमें न्यूज़ 18 के एंकर अमिश देवगन ने 15 जून को एक कार्यक्रम 'आर पार' में सूफ़ी संत के ख़िलाफ़ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के बाद कई राज्यों में अमिश देवगन के ख़िलाफ़ 7 एफ़आईआर दर्ज की गईं। ये एफ़आईआर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में दर्ज की गईं। हालाँकि, इस मामले में देवगन ने माफ़ी माँगते हुए ट्वीट कर यह दावा किया था कि वह दरअसल मुसलिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का ज़िक्र कर रहे थे और चूक से उन्होंने चिश्ती का नाम ले लिया था। उन्होंने एफ़आईआर रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका लगाई थी उसमें भी कहा था कि यह ज़ुबान फिसलने से हुआ था और इसके लिए उन्होंने पहले ही माफ़ी माँग ली है। 

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वह जाँच में सहयोग करना जारी रखते हैं तो देवगन को किसी भी बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जून को देवगन को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी। लेकिन अब इसने ट्रायल में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। 

टेलीविजन में जो आजकल चल रहा है उस पर सुप्रीम कोर्ट भी हाल में सख़्त रुख अख्तियार किए हुए है। सुरेश चव्हाणके के चैनल सुदर्शन टीवी के 'यूपीएससी जिहाद' कार्यक्रम को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूरे उस मीडिया के लिए संदेश दिया था जो किसी न किसी समुदाय को निशाना बनाते रहते हैं।

अदालत ने कहा था कि वह पत्रकारिता के बीच में नहीं आना चाहती है लेकिन यह संदेश मीडिया में जाए कि किसी भी समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। जब सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम पर रोक लगाई थी तब भी कोर्ट ने यही कहा था कि ‘ऐसा लगता है कार्यक्रम का उद्देश्य मुसलिम समुदाय को बदनाम करना है और उन्हें कुछ इस तरह दिखाना है कि वे चालबाज़ी के तहत सिविल सेवाओं में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं।’

इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों और एंकरों को मर्यादा पालन करने को कहा था। 

sc refuses to quash firs against amish devgan in sufi saint derogatory remark case  - Satya Hindi

ऐसा तब हो रहा है जब टीवी चैनलों पर चीखने-चिल्लाने की भाषा अब आम हो गई लगती है। लाइव डिबेट में कांग्रेस के प्रवक्ता दिवंगत राजीव त्यागी द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से इस पर हंगामा खड़ा हुआ था और फिर जनरल जीडी बख़्शी द्वारा माँ की गाली देने तक यह मामला पहुँच गया था। सितंबर महीने में सुशांत सिंह राजपूत केस में लाइव रिपोर्टिंग के दौरान घटनास्थल पर मौजूद एक रिपोर्टर ने माँ की गालियाँ दे दीं। इसका ‘रिपब्लिक टीवी’ पर लाइव प्रसारण हो गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने दावा किया कि गाली देने वाला रिपोर्टर ‘रिपब्लिक टीवी’ का था, जबकि चैनल ने इन आरोपों को खारिज किया था। 

वैसे, रिपब्लिक चैनल पर यह गाली का प्रसारण पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी गाली का प्रसारण हो गया था। चैनल पर लाइव डिबेट चल रही थी। डिबेट का मुद्दा भारत-चीन सीमा विवाद था। लाइव डिबेट के बीच बात इतनी बढ़ गई थी कि एक पैनलिस्ट मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने माँ की गाली दे दी थी। 

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लाइव प्रसारण में ऐसी ही गाली-गलौज का मामला न्यूज़ नेशन टीवी पर आया था। मशहूर पत्रकार दीपक चौरसिया राम मंदिर निर्माण पर डिबेट करा रहे थे। इस बीच बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम शुक्ला और इसलामिक स्कॉलर के तौर पर पेश किए गए इलियास शराफुद्दीन के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों तरफ़ से 'कौवे', 'सुअर', 'कुत्ते' जैसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया और दोनों तरफ़ से भाषा की मर्यादा लाँघी गई। हालाँकि दीपक चौरसिया ने दोनों को रोकने की कोशिश की, लेकिन इसी बीच इलियास शराफुद्दीन ने लाइव डिबेट में ही बीजेपी प्रवक्ता के लिए गालियाँ दे दीं। इसके बाद दीपक चौरसिया ने उन्हें तुरंत लाइव शो से हटा दिया और इसके लिए उन्होंने माफ़ी भी माँगी थी।

इससे पहले अपशब्दों के प्रयोग का एक मामला ‘न्यूज़ इंडिया 18’ की लाइव डिबेट में भी हुआ था। क़रीब दो साल पहले एंकर अमिश देवगन मॉब लिंचिंग डिबेट शो करा रहे थे और उसमें तब के कांग्रेस प्रवक्ता और अब दिवंगत राजीव त्यागी भी शामिल थे। डिबेट के दौरान राजीव त्यागी ने आरोप लगाया था कि वह एकतरफ़ा एंकरिंग कर रहे थे और इसी को लेकर उन्होंने अमीश देवगन के लिए अपशब्द कहे थे।

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क़मर वहीद नक़वी

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