मशहूर फिल्मकार बासु चटर्जी का गुरुवार को निधन हो गया है। उनके निधन से हिंदी सिनेमा ने एक प्रयोगधर्मी व्यक्तित्व को खो दिया जिसकी जगह की भारपाई जल्दी संभव नहीं।
अजीत जोगी अचानक ऐसे चले जाएँगे यह उम्मीद तो नहीं थी। पिछड़े हुए इलाक़े जोगी डोंगरी से निकल कर इंजीनियर बनना ही आसान नहीं होता। वे इंजीनियर बने, फिर आईपीएस की परीक्षा पास की। यही नहीं रुके और आईएएस भी क्वालीफाई कर लिया।
आज जब ऋषि कपूर हमारे बीच नहीं रहे तो उनकी याद के सिलसिले में `बॉबी’ फ़िल्म का नाम सबसे पहले आता है। अपनी फ़िल्मी सक्रियता के लंबे दौर में वह कई पीढ़ियों के चहेते रहे।
अभिनेता ऋषि कपूर के निधन से पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री सदमे में है। ऋषि कपूर हमेशा मुस्कुराते रहे और आख़िरी समय में भी अस्पताल में डॉक्टरों के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास करते रहे।
इरफ़ान ख़ान की मृत्यु एक आकस्मिक ट्रेजडी की तरह ज़रूर है लेकिन सचाई यह भी है कि ख़ुद इरफ़ान को, उनके परिवार को और उनके प्रशंसकों को इसके आने की आशंका थी।
कुछ शख्सियतें ज़िंदगी की प्रतिबद्धता की वह खुली किताब होती हैं जिनका जिया एक-एक लफ्ज़ धड़कता है और अपना होना दर्ज कराता है। साहिबजादी ज़ोहरा बेगम मुमताजुल्ला ख़ान उर्फ ज़ोहरा सहगल ऐसी ही एक नायाब शख्सियत थीं।
सैकड़ों दिलों में उन्होंने प्यार का जज्बा जगाया लेकिन अपने प्यार का इज़हार वह कर ही नहीं पायीं। दूसरी बार प्यार जागा तो उसे हासिल करने में 10 साल से ज़्यादा का समय लग गया।
23 मार्च को ही शहीद दिवस होता है। आज के ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दी गई थी। और आज ही के दिन यानी 23 मार्च को इंकलाबी पंजाबी कवि अवतार सिंह संधू उर्फ 'पाश' को खालिस्तानी उग्रवादियों ने गोली मार दी थी।