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यूएस: उप-राष्ट्रपति बनने पर कमला हैरिस का रवैया भारत के प्रति कैसा रहेगा?

कमला हैरिस से उम्मीद की जाती है कि उप-राष्ट्रपति बनने पर भारत के प्रति उनका रवैया काफ़ी रचनात्मक रहेगा लेकिन कश्मीर और नागरिकता संशोधन क़ानून जैसे मुद्दों पर उनकी भारत से स्पष्ट असहमति रही है। वह स्पष्टवादी और निडर महिला हैं। उनका दृढ़ आत्म-विश्वास ही उन्हें इस ऊँचे मुकाम तक ले आया है। 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित करके एक तीर से कई शिकार कर लिये हैं। यदि वे जीत गईं तो वे अमेरिका की पहली महिला उप-राष्ट्रपति बनेंगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन हैं, जो स्वयं दो बार उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं। यदि वे राष्ट्रपति चुने गए तो वे दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि वे 77 साल के हो गए हैं। अर्थात यह असंभव नहीं कि 2024 में अमेरिका की पहली राष्ट्रपति भी कमला हैरिस ही हों। उनकी उम्र अभी सिर्फ़ 55 साल है।

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कमला वैसे अभी अमेरिकी सीनेट (राज्यसभा) की सदस्य हैं। यह सीट उन्होंने बाक़ायदा चुनाव लड़कर जीती है। इसके पहले वह केलिफोर्निया की एटॉर्नी जनरल रह चुकी हैं। उनकी माँ श्यामला गोपालन हमारे तमिलनाडु की थीं और पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के। यानी वे भारतीय मूल की भी हैं और लातीन अमेरिकी और अफ़्रीकी मूल की भी। उन्हें अमेरिका में अश्वेत ही माना जाता है। वह वास्तव में न तो काली हैं, न गोरी हैं। वह गेहुँआ हैं। ऐसा लगता है कि यह गेहुँआ रंग अब अमेरिका के सिर पर चढ़कर बोलेगा। 

उन्होंने जॉर्ज फ्लायड हत्याकांड पर अपनी आवाज़ इतनी ज़ोर से उठाई थी कि अमेरिकी लोगों के दिलों में उनका स्थान एक बहादुर महिला का बन गया। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने की भी कोशिश की थी। उन्होंने जो बाइडन का विरोध करने में भी कोई संकोच नहीं किया था। बाइडन के प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद उनको बाइडन ने अपने साथ उप-राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। इसका फ़ायदा उन्हें अपने चुनाव में ज़रूर मिलेगा। प्रवासी भारतीयों के लगभग 18 लाख वोट हैं और वोटों से भी कहीं ज़्यादा उनका प्रभाव है। 

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यों भी डेमोक्रेटिक पार्टी अमेरिका के भारतीयों में लोकप्रिय रही है। डोनाल्ड ट्रंप की तरफ़ उनका झुकाव इधर ज़रूर बढ़ा है लेकिन कमला हैरिस इस प्रभाव को बाइडन की तरफ़ मोड़ने में सफल होंगी। कमला हैरिस से उम्मीद की जाती है कि उप-राष्ट्रपति बनने पर भारत के प्रति उनका रवैया काफ़ी रचनात्मक रहेगा लेकिन कश्मीर और नागरिकता संशोधन क़ानून जैसे मुद्दों पर उनकी भारत से स्पष्ट असहमति रही है। वह स्पष्टवादी और निडर महिला हैं। उनका दृढ़ आत्म-विश्वास ही उन्हें इस ऊँचे मुकाम तक ले आया है। कमला की वजह से अमेरिका के भारतीय लोगों में नई चेतना का संचार होगा। अमेरिकी संस्कृति में एक नया आयाम जुड़ेगा। कमला हैरिस के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।
(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार। )
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डॉ. वेद प्रताप वैदिक

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