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प्रतीकात्मक तसवीर।

लॉकडाउन के दौरान देश भर में फंसे कश्मीरियों की मदद के लिए आगे आए लोग

लॉकडाउन के कारण देश भर में कई जगहों पर कश्मीरी फंस गए। ऐसे में फ़ेसबुक पोस्ट के माध्यम से लोगों को इस बारे में बताया गया तो सैकड़ों लोग मदद के लिए आगे आए। इससे यह पता चलता है कि हर जगह अच्छे व्यक्ति मौजूद हैं, जो मुसीबत के समय मदद करने को तैयार रहते हैं। इससे यह धारणा भी टूटेगी कि ग़ैर-कश्मीरियों की कश्मीरियों से दुश्मनी है और हमें राष्ट्रीय एकता और सौहार्द्र स्थापित करने में भी मदद मिलेगी।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू

मैं एक कश्मीरी हूं और इसलिए मैं स्वाभाविक रूप से कश्मीर से जुड़ा हुआ हूं, जो मेरे पूर्वजों की जन्मभूमि भी है। मुझे कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुसलमानों, दोनों से सहानुभूति है। मैं अक्सर कश्मीरी मुसलमानों से कहता हूं कि मेरा और तुम्हारा डीएनए और खून एक ही है।

मैं इस खबर को सुनकर बहुत चिंतित था कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में कश्मीरी (छात्र, व्यापारी और अन्य कश्मीरी) भारत के विभिन्न शहरों में फंसे हुए हैं। वे कश्मीर वापस जाना चाहते हैं लेकिन अंतरराज्यीय यात्रा पर प्रतिबंध होने के कारण नहीं जा सकते। उनकी हालत ठीक नहीं है और जल्द कोई रास्ता भी नहीं दिखता। उनके पास पैसे, दवा और भोजन की कमी है।

इन परिस्थितियों में मैंने अपने मित्र विवेक तन्खा, सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय से फोन पर संपर्क किया। विवेक भी मेरी तरह कश्मीरी हैं और वह भी कश्मीरियों के साथ आत्मीयता का रिश्ता रखते हैं। वह फंसे हुए कश्मीरियों की मदद के लिए एकदम तैयार हो गए।
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मैंने नीचे लिखी पोस्ट को अपने फेसबुक पेज पर डाला - 

''भारत के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में कश्मीरी फंसे हुए हैं। वे कश्मीर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन अंतर राज्यीय यात्रा पर रोक और प्रतिबंध को देखते हुए ऐसा नहीं कर सकते। वे कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और भोजन, दवाओं और पैसे की कमी को झेल रहे हैं।

मैंने विवेक तन्खा, वरिष्ठ वकील और संसद सदस्य के साथ फोन पर बात की। चूंकि हम दोनों कश्मीरी हैं, इसलिए हम अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों  की मदद करना चाहेंगे।

कश्मीर के बाहर फंसे किसी भी कश्मीरी को कोई मुश्किल है, तो मुझे अपनी  समस्या के बारे में पूरी जानकारी के साथ justicekatju@gmail.com पर ई-मेल भेजे। मैं इसे विवेक के साथ साझा करूंगा, और हम जो कुछ भी मदद कर सकते हैं, करने की कोशिश करेंगे।

हम स्वयंसेवकों की एक टीम बनाएंगे जो फंसे हुए कश्मीरियों की मदद करने के लिए तैयार रहेगी। वे सभी जो टीम में रहना चाहते हैं, जिनमें ग़ैर-कश्मीरी भी शामिल हो सकते हैं, कृपया मुझे ई-मेल भेजें।"

बहुत जल्द ही मुझे दर्जनों ई-मेल और फेसबुक संदेश मिले, न केवल फंसे हुए कश्मीरियों के (जो दिल्ली, मुंबई, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बेंगलुरू, झारखंड, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों में संकट में थे) बल्कि ऐसे लोगों के भी, जिन्होंने मदद करने के लिए स्वेच्छा से इच्छा जाहिर की थी। इन सभी संदेशों को मैंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया है।

मदद की पेशकश करने वाले लोग बेशुमार थे। मैं उनमें से केवल 3 लोगों का उल्लेख कर रहा हूं। 

(1) आसिफ अब्दुल्ला ने अपनी ई-मेल आईडी aasifabdullah0786@gmail.com से यह जवाब दिया। 

श्रीमान

आशा है, आप अच्छे होंगे। हम लोगों ने दिल्ली के युवा पेशेवरों, छात्रों और हमदर्द विश्वविद्यालय के शिक्षकों के एक समूह और अन्य समान विचारधारा वालों के साथ मिलकर ‘हेल्पिंग हैंड्स’ के नाम से एक समूह बनाया है और राशन, भोजन और आवश्यक वस्तुओं के संदर्भ में लॉकडाउन में फंसे हुए प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं। हम आपके प्रयासों के लिए आपको धन्यवाद देते हैं और कश्मीर के लोगों के लिए आपके द्वारा की गई पहल के लिए हम किसी भी तरह के समर्थन के लिए तैयार हैं।

हमने उन कश्मीर के निवासियों के लिए एक विशेष समूह बनाया है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं और अपने दोस्तों और विभिन्न ग़ैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से देश भर में हम हर किसी तक पहुंचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम आपकी पहल का स्वागत करते हैं और किसी भी तरह की मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित। 

(2) एक सिख सज्जन, इंद्रवंश चड्ढा, (ई -मेल आईडी fashions@har-ind.com और international@har-ind.com) जो जालंधर में रहते हैं और काम करते हैं, ने इस संबंध में मदद की पेशकश की है। चड्ढा कश्मीरी बोलते हैं क्योंकि उनका जन्म और पालन-पोषण कश्मीर में हुआ था। मेरे अनुरोध पर इंद्रवंश पंजाब में फंसे कश्मीरियों की मदद कर रहे है। वह उन्हें राशन की आपूर्ति कर रहे हैं और अन्य तरीकों से उनकी मदद में जुटे हैं। 

(3) बेंगलुरू के एक सज्जन एम.आर. बालकृष्ण बालू बेंगलुरू में फंसे कश्मीरियों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जेब से जरूरतमंदों को पैसे भी दिए हैं।

इन सभी विवरणों को मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है, जिसे हम ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए एक मंच के रूप में उपयोग कर रहे हैं।

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विवेक तन्खा और आसिफ अब्दुल्ला, ज़रूरतमंद कश्मीरियों के नाम और विवरण के साथ एक चार्ट तैयार कर रहे हैं और फिर विवेक फंसे हुए कश्मीरियों से संपर्क करने और उनकी मदद करने के लिए भारत के सभी शहरों में लोगों को नियुक्त करेंगे। हमने विदेशों में रह रहे कश्मीरियों से भी अपने विचार और सुझाव देने के लिए कहा है। 

हम देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए कश्मीरियों को वापस कश्मीर तक पहुंचने में मदद करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि अंतरराज्यीय यात्रा पर प्रतिबंध है, लेकिन हम उन्हें जीवित रहने के लिए आवश्यक वस्तुएं प्रदान करने का भरसक प्रयास करेंगे।

इस पहल का महत्व यह है कि यह दर्शाती है कि हर जगह अच्छे व्यक्ति मौजूद हैं, जो मुसीबत के समय मदद करने को तैयार रहते हैं। इससे यह धारणा भी टूटेगी कि ग़ैर-कश्मीरियों की कश्मीरियों से दुश्मनी है और हमें राष्ट्रीय एकता और सौहार्द्र स्थापित करने में भी मदद मिलेगी।

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जस्टिस मार्कंडेय काटजू

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