कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने हाल ही में मुझे फोन किया और कहा कि उन्हें सोनिया और राहुल गांधी की वजह से जनता से गालियाँ मिल रही हैं। वे पार्टी के नेतृत्व को जकड़े हुए हैं।
नंदीग्राम में अपनी हार के बावजूद ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के कारण है।
2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद, मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर और इन क्षेत्रों के अन्य पश्चिमी जिलों के किसान धार्मिक क्षेत्रों में ध्रुवीकृत हो गए थे और हिंदू हिंदुत्ववादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रबल समर्थक बन गए थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जो बजट पेश किया है, वह दिशाहीन और अवास्तविक है, हालांकि यह दावा किया गया है कि यह भारत को आत्मनिर्भर बना देगा।
कृषि क़ानूनों के वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन ने जाति और धर्म की बाधाओं को तोड़ कर लोगों को एकजुट कर दिया है। इसके अलावा, इन्होंने राजनेताओं को इस मामले से दूरी बनाये रखने के लिए कहा है।
दुष्कर्म करने वाली अधिकांश भारतीय मीडिया का हालिया रिकॉर्ड देखकर उनको जनता का दुश्मन क़रार देना कुछ ग़लत न होगा। किसान आंदोलन में कैसी रही इसकी भूमिका?
आज भारत में मीडिया के एक बड़े वर्ग ने जनता का सम्मान खो दिया है और वह सत्ताधारी दल के लिए 'गोदी मीडिया' (बेशर्म, बिका हुआ, चाटुकार प्रवक्ता) बन गया है।
किसान आंदोलन से संबंधित गुरुवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान गतिरोध को हल करने के लिए एक बहुत ही समझदारी भरा रास्ता दिखाया। सरकार को इन क़ानूनों के कार्यान्वयन को रोकना चाहिए।
केंद्र सरकार के तीन नये कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच चल रहे गतिरोध पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री मोदी को खुल ख़त लिखा है और उन्हें एक तरकीब सुझाई है।
किसानों ने आगे भी आंदोलन जारी रखा तो आंदोलन उनके लिए हित से ज़्यादा अहित ही साबित होगा। आंदोलन द्वारा अब तक उन्होंने अपनी बात रखी है, और अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव 1 दिसंबर को हो रहे हैं और मेरी भविष्यवाणी यह है कि वर्तमान में केवल 150 में से 4 सीटें रखने वाली बीजेपी इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। हालाँकि यह केवल एक नगरपालिका चुनाव है।
हिंदू आमतौर पर मसजिदों में नहीं जाते और मुसलमान आमतौर पर मंदिरों में नहीं जाते। लेकिन दोनों जिन जगहों पर जाते हैं उन्हें दरगाह कहते हैं। क्या दरगाह हिंदू-मुसलिम सद्भाव के प्रतीक नहीं हैं?
आज जब हमारा देश भारी सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, उत्पीड़ित जनता की दुर्दशा को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में आशिक़ों (वास्तविक देशभक्तों) की घोर आवश्यकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपने पत्रों और साक्षात्कारों में कांग्रेस पार्टी के पुनरुत्थान के लिए लोकतांत्रिक बदलाव लाने का आह्वान किया है। बदलाव से क्या कांग्रेस पार्टी प्रतिस्पर्था में आ जाएगी?
पाकिस्तान एक इसलामिक देश के रूप में बनाया गया था। लेकिन कौन सा इसलाम सही है? सिद्धांत में केवल एक इसलाम है, लेकिन वास्तविकता बहुत अलग है। वास्तव में महान पैगंबर की मृत्यु के तुरंत बाद सुन्नियों और शियाओं के बीच भयंकर मतभेद पैदा हुआ।
क्या सच में भारतीय राजनीति बदल गई है? क्या भारतीय चुनावों में बेरोज़गारी, मूल्य वृद्धि और ऐसे अन्य कारक मायने रखते हैं? इस पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू क्या सोचते हैं?
भारतीय मीडिया देश की मौजूदा समस्याओं और गंभीर स्थितियों को क्यों अनदेखा कर सुशांत राजपूत, रिया और कंगना जैसे मुद्दों में उलझा हुआ है? जस्टिस मार्कंडेय काटजू का सवाल है कि भारतीय मीडिया को क्यों नहीं दिखता कि क्रांति जैसी स्थितियाँ बन रही हैं?