सुषमा स्वराज अपने बेहद सहज और मिलनसार स्वभाव की वजह से राजनीतिक गलियारों में सबकी चहेती रहींं। सभी पार्टियों में नेताओं से उनके व्यक्तिगत अच्छे संबंध थे। उनकी यादें हमेशा ताज़ा रहेंगी।
कश्मीर का सवाल देश की अस्मिता से जुड़ा है। क्या जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से करने से कश्मीर समस्या का समाधान हो जायेगा? क्या कश्मीर में आतंकवाद ख़त्म हो जायेगा? क्या आतंकवादी हिंसा पूरी तरह से दब जायेगी?
1953 में शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी से कश्मीर की सापेक्ष स्वायत्तता को समाप्त करने का जो सिलसिला नेहरू सरकार ने शुरू किया था, उसे मोदी सरकार ने तार्किक परिणति तक पहुँचा दिया है।
केंद्र की एनडीए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निर्वीर्य यानी शक्तिहीन करने की तैयारी कर ली है और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आज तत्संबंधी प्रस्ताव पेश किया।
रक्षा सचिव को यह आदेश दिए गए हैं कि वे आर्डनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड का कार्पोरेटाइज़ेशन कर दें। दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों की भी ऐसी ही स्थिति है। क्या नरेन्द्र मोदी एक से ज़्यादा तरीक़ों से इस देश को ख़तरनाक रास्ते पर ले जा रहे हैं?
तीन तलाक़ पर अपने रवैये से जदयू ने केंद्र में अपनी गठबंधन की मोदी सरकार का रास्ता तो आसान कर दिया लेकिन क्या इससे ख़ुद उसकी आगे की राह मुश्किल हो गई है?
वैश्विक सन्दर्भ में हम ग़रीबी को मात दे रहे हैं जबकि अफ़्रीकी देशों में ग़रीबों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ है, या यह सिर्फ़ आंकड़ों की बाजीगरी है।
संसद में एक अनुभवी पुरुष सांसद को वरिष्ठ महिला सांसद के साथ ग़लत अंदाज़ में बात करने की वजह से पूरे सदन के सामने माफ़ी माँगनी पड़ी। आज़म से माफ़ी मँगवाने वाली बीजेपी ने रेप के आरोपी सेंगर क्यों नहीं निकाला है?
ट्रंप ने एक बार फिर भारत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कश्मीर के बारे में मध्यस्थता की बात करके उन्होंने अपने आप को पाकिस्तानी मंसूबों के साथ खड़ा कर दिया है।