loader

रेलवे में सवा लाख नौकरियों की बात से किसे मूर्ख बना रही सरकार?

आतंकवादी हमले के आक्रोश के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा दी। इस ट्रेन की औसत रफ्तार 99 किलोमीटर प्रति घंटे होगी, जबकि इसकी ख़ासियत यह है कि यह 45 सेकंड में 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पकड़ लेती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे भारत ट्रेन को बड़ी उपलब्धि बताया तो रेल मंत्री पीयूष गोयल हास्यास्पद स्तर पर उतरते हुए यह कह गए कि यह ट्रेन आतंकियों को क़रारा जवाब है।

इस मौक़े पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि रेलवे ने क़रीब सवा लाख नौकरियाँ दी हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वंदे भारत ट्रेन दिल्ली से वाराणसी की 750 किलोमीटर की दूरी लगभग 8.30 घंटे में तय कर लेगी। 

यह ट्रेन निश्चित रूप से सबसे तेज़ रफ़्तार वाली नहीं है। यह इसी सरकार द्वारा चलाई गई गतिमान एक्सप्रेस के 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से कम तेज़ चलेगी। गतिमान भी सिर्फ़ सबसे तेज़ की घोषणा मात्र है क्योंकि राजधानी एक्सप्रेस उसके बहुत पहले से 140 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच की रफ़्तार से चलती है।

सब कुछ हो रहा पहली बार!

संकेतों का अपना महत्व होता है। सबसे तेज, विश्व में पहली बार, धरती पर पहली बार, 70 साल में पहली बार घोषित करना इस सरकार का शगल है, इसलिए तमाम चीजें पहली बार बताने की कोशिश की जा रही हैं। उसमें गतिमान भी पहली बार है, वंदे भारत भी पहली बार है। यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि यह इंजन रहित ट्रेन है, लेकिन इंजन के बगैर कोई ट्रेन नहीं चल सकती। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके हर डिब्बे में इंजन लगा हुआ है, इसलिए अलग से पॉवर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन यह भी पहली बार सही।

लेकिन यह ट्रेन वाराणसी से राष्ट्रीय राजधानी लौटते समय शनिवार तड़के उत्तर प्रदेश में टुंडला रेलवे स्टेशन के पास रुक गई। रेलवे मंत्रालय के अनुसार, किसी पशु के रेलवे लाइन से गुजरने के दौरान ट्रेन उसके ऊपर चढ़ गयी, इसलिए इसे रोकना पड़ा। मंत्रालय के मुताबिक़, ट्रेन अभी ट्रायल रन पर है और 17 फ़रवरी से इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

देर से चल रहीं ट्रेनें 

मोदी के सत्ता संभालते ही रेलवे में कई बड़े हादसे हुए। एक के बाद एक हुए हादसों के बाद रेलवे ने ‘दुर्घटना से देर भली’ का फ़ॉर्मूला अपना लिया। पहले जहाँ कोहरा, बारिश आदि वजहों से ट्रेन में देरी होती थी, इस समय सामान्यतया भारत में हर मौसम में सभी ट्रेनें देरी से चलने लगी हैं। 

हालात यह हैं कि अगर कोई ट्रेन समय से पहुँच गई तो उसके यात्री खुद की किस्मत और अपने आराध्य के प्रति आभार जताते हैं, वर्ना ट्रेन में अतिरिक्त ख़र्च और समय लगाना मज़बूरी है।

चार्ट मेंटेन करें या ट्रेन चलाएँ?

ट्रेन में देरी की क्या वजह है, इसके बारे में एक ट्रेन चालक, जिन्हें अब उनकी आत्मसंतुष्टि के लिए लोको पायलट कहा जाने लगा है, ने बताया कि हम लोगों को 300 किलोमीटर की यात्रा में दो पन्ने का कॉशन चार्ट मिलता है। उसमें किलोमीटर तय होते हैं कि कहाँ 10 किलोमीटर, कहाँ 30 किलोमीटर और कहाँ 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गाड़ी चलानी है। लोको पायलट ने कहा था कि वे आजकल ट्रेन चलाने से ज़्यादा कॉशन चार्ट मेंटेन करने के लिए मेहनत करते हैं, जिससे गाड़ी पलट न जाए।

  • कॉशन चार्ट की समस्या तब बहुत ज़्यादा हो गई, जब इस सरकार के शुरुआती कार्यकाल में दनादन रेल दुर्घटनाएँ और बड़े पैमाने पर मौतें हुईं। उसके बात से पूरी रेल व्यवस्था कॉशन चार्ट पर ही चल रही है।
कॉशन चार्ट पर चलने की वजह रेल कर्मचारियों की स्थिति से जानी जा सकती है। रेलवे में कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 15,06,598 है। इनमें से स्थायी रूप से सेवा में कुल कर्मचारियों की संख्या 12,23,622 है। अभी आज की तारीख में रिक्त पद 2,82,976 हैं। इसमें समूह ‘ग’ में सुरक्षा श्रेणी के कर्मचारियों के कुल 1,51,348  पद खाली हैं। डेढ़ लाख ऐसे पद खाली हैं, जिन्हें आप पहले पटरियों को हथौड़े से ठोकते हुए देखते हैं। उसमें रेल पथ मिस्त्री से लेकर इंजीनियर तक होते हैं। अब पटरियों को ठोक-पीटकर दुरुस्त करने वाले कर्मचारी ही नहीं बचे हैं। 
  • हालत यह हैं कि मौजूदा सरकार कर्मचारियों में कटौती कर और इससे वेतन बचाकर रेलवे को मालामाल बनाने की कवायद कर रही है। और इस मूर्खता का परिणाम यह हुआ है कि रेलवे नाम की दुधारू गाय की सेवा सत्कार करने वाले सेवक ही नहीं हैं।

भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़ 

चुनाव नज़दीक आते ही रेल मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा कर दी कि अगले 2 साल में रेलवे में 4,00,000 भर्तियाँ की जाएँगी। हक़ीक़त यह है कि इस सरकार के कार्यकाल में 2018 में रेलवे भर्ती बोर्ड ने 1,27,278 रिक्तियाँ भरने के लिए कंप्यूटरीकृत परीक्षा का आयोजन किया था, जिसमें सहायक लोको पायलट और टेक्नीशियन स्तर के 64,371 पद और लेवल-1 के 62,907 पद शामिल थे। इसके अलावा 2016 में एक बार 18,252 पद भरने के लिए रिक्तियाँ निकाली गईं। 2016 और 2018 में जिन बच्चों ने रेलवे की भर्ती परीक्षा पास कर ली, उन्हें आज की तारीख़ तक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिल पाया है।

मोदी सरकार की विफलताओं की लंबी फेहरिस्त में रेलवे की दुर्दशा भी शामिल है, जिसने आम नागरिकों को पिछले 4 साल में सबसे ज़्यादा परेशान किया है।

घोषणाओं से ही है उम्मीद

किराये में भारी-भरकम बढ़ोतरी, सुविधाओं का अभाव, ठेके पर काम दे दिए जाने से रेल में कंबल, तकिया, चद्दर गंदी मिलने से लेकर बासी, ख़राब गुणवत्ता वाला जहरीला खाना झेलना पड़ रहा है। लेकिन सरकार को अब भी उम्मीद है कि वह घोषणाओं की बदौलत 2019 के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल हो जाएगी। 

रेलवे ने प्रधानमंत्री मोदी सरकार के कार्यकाल में अब तक कोई बड़ी भर्ती कर नियुक्ति नहीं की है। मोदी को जिन लोगों ने बताया है कि रेलवे ने सवा लाख लोगों की भर्तियाँ की हैं, वह कोरा झूठ है। जिन अभ्यर्थियों को सवा लाख सीटों पर चयनित किया गया है, अभी भी ज्वाइनिंग लेटर पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रीति सिंह

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें