loader

देश के लिये सबकुछ क़ुर्बान करने का जज़्बा कहाँ है? 

गालिब से लेकर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और मंसूर अल हज्जाज से लेकर वोल्टेयर तक सामाजिक-आर्थिक बदलाव के लिए क्रांति और सबकुछ न्यौछावर करने बात की है। आज जब हमारा देश भारी सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, उत्पीड़ित जनता की दुर्दशा को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में आशिक़ों (वास्तविक देशभक्तों) की घोर आवश्यकता है।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू

महान उर्दू कवि ग़ालिब का एक शेर है:

“इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया

वरना हम भी आदमी थे काम के”

इसका क्या मतलब है?

इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए सबसे पहले यह बताना होगा कि उर्दू कविता में अक्सर एक बाहरी, शाब्दिक, सतही अर्थ और एक आंतरिक, रूपक, वास्तविक अर्थ होता है।

उदाहरण के लिए, फैज़ का शेर लीजिए:

“गुलों में रंग भरे बाद - ऐ - नौबहार चले

चले भी आओ की गुलशन का करोबार चले”

इस शेर का शाब्दिक सतही अर्थ है:

“फूलों के बीच नए वसंत की एक रंगीन हवा बह रही है

साथ आओ, ताकि बगीचे का काम हो सके”

ख़ास ख़बरें

लेकिन वास्तव में फैज़ कुछ और कह रहे हैं I इस शेर में, शब्द 'गुलशन' को शब्दशः नहीं समझा जाना चाहिए। यहाँ 'गुलशन' शब्द से तात्पर्य है देश। और न ही इस शेर में पहला मिसरा (लाइन) शाब्दिक रूप से समझा जाना चाहिए। वास्तव में इस शेर का अर्थ है :

“देश में अब वस्तुनिष्ठ स्थिति परिपक्व है (एक क्रांति के लिए)

आगे आओ देशभक्तों, देश को आपकी ज़रूरत है”

इस प्रकार, उर्दू कविता को समझने के लिए न केवल प्रत्यक्ष शाब्दिक अर्थ से समझना चाहिए बल्कि गहरायी से जाँच करनी चाहिए और वास्तविक अर्थ का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए, जिसे कवि अप्रत्यक्ष रूप से इशारों और संकेतों से बताने की कोशिश कर रहा है।

'इश्क’ शब्द जो उर्दू शायरी में प्रायः इस्तेमाल होता है, अक्सर एक पुरुष और एक महिला के बीच शारीरिक प्रेम और आकर्षण के रूप में ग़लत समझा जाता है। लेकिन यह आमतौर पर इसका असली उद्देश्य नहीं है। उर्दू शायरी में भारी सूफी प्रभाव है, और सूफियों के बीच इश्क शब्द वास्तव में एक महिला के लिए नहीं बल्कि भगवान (इश्क-ए-हकीकी) के लिए प्यार को दर्शाता है।

फारसी रहस्यवादी मंसूर अल हज्जाज (858-922) 'अनल हक' (मैं ईश्वर हूँ) कहा करते थे, जिसके लिए उन्हें ग़लत समझा गया और उनका सिर कलम कर दिया गया।

वास्तव में मंसूर अल हज्जाज का मतलब यह था कि उन्होंने अपने अहँकार को मिटा दिया था और सभी भौतिक इच्छाओं को छोड़ दिया था, और इसलिए ख़ुद को देवत्व में विलय कर लिया था।

इस प्रकार, उर्दू कविता में इश्क शब्द का अर्थ वास्तव में एक आदर्श, एक महान सिद्धांत, के लिए एक जुनून है, जिसके लिए व्यक्ति निस्वार्थ रूप से सभी सुखों को त्यागने के लिए तैयार है, और यहाँ तक कि अपने जीवन को भी।

ग़ालिब लिखते हैं:

“इश्क़ पर ज़ोर नहीं है यह वह आतिश ग़ालिब

की लगाये ना लगे और बुझाये ना बुझे”

यहाँ फिर से, 'इश्क' शब्द को स्त्री और पुरुष के बीच केवल शारीरिक आकर्षण के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इसका मतलब एक गहन जुनून है जिसे तर्कसंगत रूप से समझाया नहीं जा सकता है, और जो एक व्यक्ति को आग की तरह खा जाती है।

यूरोप के महान विचारक वोल्टेयर ने तर्क पर जोर दिया, जबकि  समान रूप से महान विचारक रूसो ने कहा कि जुनून और भावना के बिना केवल तर्क मनुष्य को स्वार्थी व्यक्ति बना देता हैI ऐसा व्यक्ति देश या दूसरों के लिए कुछ भी नहीं करेगा।

सभी महान क्रांतिकारियों ने इस अर्थ में इश्क किया है I यानी देश की सेवा करने का उनमें एक नि:स्वार्थ जुनून था, यहाँ तक कि सब कुछ खो देने का, अपना जीवन भी जोखिम में डालने काI

poets revolutionary optimism in india - Satya Hindi
फ़ोटो साभार: स्टेट हर्मिटेज म्यूजियम

अमेरिका में, जॉर्ज वाशिंगटन एक बहुत अमीर जमींदार थे, लेकिन जब उन्हें ब्रिटिश शासकों के ख़िलाफ़ अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (1775-81) में अमेरिकी महाद्वीपीय सेना बनाने और नेतृत्व करने का आह्वान किया गया, तो उन्होंने स्वीकार कर लिया, हालाँकि वह बड़ा जोखिम उठा रहे थे क्योंकि अगर अंग्रेज़ विजयी हो जाते तो वह अपना सब कुछ गँवा देते।

क्रॉमवेल जैसे देशभक्त अंग्रेज़ जो 17वीं शताब्दी में राजा चार्ल्स की निरंकुशता के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता के लिए लड़े और, 1789 की फ्रांसीसी क्रांति के महान फ्रांसीसी नेता, रोब्सपियरे और मरा और रूसी नेता लेनिन, सभी में इश्क की आग थी, अर्थात्, अपने देश की निस्वार्थ भाव से सेवा करने का तीव्र जुनून।

हमारे ही देश में भगत सिंह, सूर्य सेन, चंद्रशेखर आज़ाद, बिस्मिल, अशफ़ाक़ुल्ला, खुदीराम बोस आदि जैसे ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने इश्क़ के लिए अपनी जान दे दी, और 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है'  स्वतंत्रता संग्राम का गान बन गया।

poets revolutionary optimism in india - Satya Hindi

इसलिए ग़ालिब के शेर (शुरुआत में उल्लेख किया गया है) का मतलब यह समझा जाना चाहिए - ‘मैं भी बहुत पैसा कमा सकता था और आराम से रह सकता था, अगर एक जुनून ने मुझे समाया न होता (उनके संदर्भ में कविताओं का जूनून)’।

आज जब हमारा देश भारी सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, उत्पीड़ित जनता की दुर्दशा को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में आशिक़ों (वास्तविक देशभक्तों) की घोर आवश्यकता है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें