बिहार विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी को ‘जंगलराज का युवराज’ कहा। वह क्यों इशारों में लालू यादव के शासन को जंगलराज कह रहे थे? यदि वह अगड़ी जाति से होते तो क्या ‘जंगलराज’ कहा जाता?
बिहार विधानसभा के तीसरे और आख़िरी चरण में 78 सीटों के लिए वोटिंग हो रही है। इस चरण में 2.34 करोड़ मतदाता 1204 मतदाताओं की किस्मत का फ़ैसला करेंगे। ग्राफिक्स से जानिए, किसका पलड़ा है भारी।
बिहार के चुनाव में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में जगह-जगह पर वैचारिक टकराव के साथ तालमेल में कमी नजर आ रही है। वहीं आरजेडी-कांग्रेस-वामदलों का गठजोड़ पूरे दमखम के साथ मैदान में है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के तीसरे चरण में विकास और जातीय समीकरण सीमांचल की वोट चर्चा के अहम हिस्सा नज़र आते हैं लेकिन बदलाव की चाहत इन पर भारी दिखती है।
जिस किशनगंज में एक दिन पहले नीतीश कुमार कह रहे थे कि ‘कोई किसी को नहीं भगा सकता’, उसी किशनगंज में अगले दिन चुनाव प्रचार के अंतिम दिन नीतीश कह गये- ‘यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।’
प्रचार के आखिरी दिन नीतीश ने इस चुनाव को अपना ‘अंतिम चुनाव’ बताया है। बरसों का सियासी अनुभव रखने वाले नीतीश ने ऐसा क्यों कहा, इसे लेकर चर्चाएं हो रही हैं।
बिहार चुनाव प्रचार में बीजेपी और जेडीयू में वैचारिक खाई साफ़ तौर पर दिखने लगी है। योगी आदित्यनाथ ने जब सीएए का ज़िक्र कर कहा कि घुसपैठिए को बाहर निकालेंगे तो नीतीश कुमार ने इस तरह की बातों को 'फालतू बात' क़रार दे दिया है।