बिहार के मुजफ्फरपुर के एक आई हॉस्पिटल में एक दिन में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ, लेकिन अब तक कई लोगों को आँखें निकालनी पड़ी है। जानिए, कहां हुई ऐसी घोर लापरवाही कि लोगों की रोशनी ही छीन गई।
कोरोना संकट ने बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियाँ एक बार फिर उजागर कर दी हैं। नीतीश कुमार सुशासन लाने का ढोल पीटते रहे हैं, लेकिन इस मोर्चे पर सरकार की विफलता क्या चुनाव पर कोई असर डालेगी?
स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में देश में लाखों बच्चे पिछले तमाम दशकों से हर साल असमय मौत की गोद में सो जाते हैं। यदि हत्या अपराध है तो सरकारी लापरवाही से मरने को हत्या का अपराध क्यों नहीं माना जाए?