2014-15 और 2015-16 के रिटर्न में बीजेपी ने स्वीकार किया है कि उसने RKW डवलपर्स, स्किल रियल्टर्स और दर्शन डवलपर्स नामक कंपनियों से क्रमश: 10 करोड़, 2 करोड़, 7.5 करोड़ रुपये चंदा लिया था। इन कंपनियों से दाउद के सहयोगी इक़बाल मिर्ची का संबंध मिला है। सत्य हिंदी पर देखिए शीतल के सवाल।
चुनाव प्रचार में सिर्फ़ 'नमो नमो नमो' का मंत्रोच्चार करने वाले बीजेपी नेता विनीत अग्रवाल शारदा ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण इसलिए बढ़ा है कि पाकिस्तान-चीन ने ज़हरीली गैस छोड़ी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी के लिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण असली मुद्दा नहीं था, असली मुद्दा था, इसी बहाने केंद्र की सत्ता पर कब्जा करना।
बीजेपी के अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह क्यों कहते हैं कि इतिहास को फिर से लिखे जाने की ज़रूरत है? क्या वे इतिहास तथ्यों के आधार लिखवाना चाहते हैं या अपनी मनमर्जी से?
क्या बीजेपी और नरेंद्र मोदी सरकार देश की तमाम पार्टियों को ख़त्म करने की कोशिश में है? क्या उसकी कोशिश यह है कि पूरे देश में एक ही दल का शासन हो? सत्य हिन्दी के ख़ास कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
यूपी के जातीय चक्रव्यूह में फँसी बीजेपी के लिए सहारा ग़ैर-यादव पिछड़े और ग़ैर-जाटव दलित नज़र आ रहे हैं। हालाँकि इस बिरादरी के चेहरे इस बार या तो नज़र नहीं आ रहे या उन्हें तवज्जो तक नहीं मिल रही।
हिन्दी फ़िल्मों में कभी देशभक्ति के प्रतीक के तौर पर माने जाने वाले सनी देओल ने अब राजनीति में एंट्री कर ली है। तो क्या राजनीति में भी उनकी ऐसी 'देशभक्ति' बरक़रार रहेगी? क्या बीजेपी की देशभक्ति से उनका टकराव तो नहीं होगा?
बीजेपी ने तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को यह सोच कर मैदान में उतारा था कि वह दिग्विजय सिंह को घेर लेंगी। पर हेमंत करकरे पर दिए बयान की वजह से अब खुद बीजेपी घिर गई है।
लोकसभा चुनाव के 18 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए आज चुनाव प्रचार का आख़िरी दिन है। इस चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएँगे।
पहले चरण में मतदान के बाद सियासी दलों की धड़कनें बढ़ गई हैं। बीजेपी कह रही है कि राष्ट्र की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर लोगों ने वोट दिया है वहीं विपक्षी दलों का दावा है कि बेरोज़गारी और किसान मुद्दे बने हैं।
कर्नाटक में 2019 के लोकसभा चुनाव दो विचारधाराओं के बीच होगा। एक तरफ़ बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर वोट की राजनीति करेगी तो दूसरी तरफ़ विपक्ष संघीय व्यवस्था की राजनीति करेगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहद महत्वपूर्ण इलाक़ा है और 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर में हुए दंगों के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण हुआ था।