'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने नरेंद्र मोदी सरकार के हाल के फ़ैसलों का ज़िक्र करते हुए 'प्रदर्शन बढ़ रहे हैं तो क्या हिंदू राष्ट्र बनने के क़रीब पहुँच रहा भारत?' शीर्षक से ख़बर प्रकाशित की है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इसलामिया विश्वविद्यालय में हुई पुलिस कार्रवाई की तुलना जलियाँवाला बाग से की है।
नागरिकता क़ानून के विरोध में रविवार को हुई हिंसा करने के आरोप में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ़्तार किया है, लेकिन इसमें से कोई भी जामिया मिल्लिया इसलामिया का छात्र नहीं है।
नागरिकता संशोधन क़ानून की आँच उत्तर प्रदेश में भी पहुँच गई है। अलीगढ़ और लखनऊ में जहाँ बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं वहीं प्रदेश के दर्जन भर ज़िलों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
राष्ट्रपति की मुहर लगते ही नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 अब क़ानून बन चुका हैI लेकिन ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारें विरोध कर रही हैं तो केंद्र सरकार इसे कैसे लागू करा पाएगी?
भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश ने यह कह कह सबको चौंका दिया कि यदि उसका कोई नागरिक भारत में ग़ैरक़ानूनी ढंग से रह रहा है तो वह उसे वापस लेने को तैयार है।
जामिया मिल्लिया इसलामिया कैंपस में रविवार शाम को पुलिस के घुसने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन उच्च स्तरीय जाँच की माँग करेगा। इसके साथ ही एफ़आईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध की आग दिल्ली के जामिया मिल्लिया इसलामिया और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के बाद अब सोमवार को लखनऊ के विश्वविद्यालय में पहुँच गई है।
नागरिकता क़ानून के विरोध में जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों के प्रदर्शन और हिंसा के बाद स्थिति और ख़राब हो गई है। मेट्रो सेवा प्रभावित हुई है और सोमवार को क्षेत्र के स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं।
नागरिकता क़ानून के समर्थन-विरोध को हिन्दी भाषी प्रदेशों में ‘हिन्दू-मुसलमान’ में तब्दील करने के सत्ताधारी एजेंडे को लेकर विपक्ष सतर्क नज़र क्यों नहीं आ रहा है?
पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कहा है कि पश्चिम बंगाल देश का पहला राज्य होगा जहाँ नागरिकता क़ानून लागू होगा, ममता बनर्जी कुछ नहीं कर पाएँगीं। Satya Hindi
संसद के इस सत्र को गृह मंत्री अमित शाह ने अपने, अपनी पार्टी और अपनी विचारधारा के नाम कर लिया। उन्होंने बड़ी चतुराई और दृढ़ता से पूरे देश में ध्रुवीकरण की राजनीति को नयी आँच दे दी जो राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ठंडी पड़ना शुरू हो गई थी। सत्य हिंदी पर देखिए शीतल के सवाल।