मरीज़ों की गंभीर स्थिति में काम आने वाले उपकरणों की अस्पतालों में कमी की जैसी आशंका जताई जा रही थी, लगता है मुंबई में अब ऐसी स्थिति जल्द ही आने वाली है। आईसीयू बेड क़रीब-क़रीब भर चुके हैं और वेंटिलेटर भी अब गिने-चुने ही खाली हैं।
तेज़ी से बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच ही महाराष्ट्र में लॉकडाउन को तो 30 जून तक बढ़ाया ही गया है, पर साथ ही नियमों में ढील देने के लिए 'मिशन बिगिन अगेन' यानी 'फिर शुरू करें मिशन' शुरू किया गया है।
प्रदेश में कोरोना का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और देश के एक तिहाई से ज़्यादा संक्रमण और उसकी वजह से होने वाली मौत के आँकड़े महाराष्ट्र से ही हैं। तो क्या महाराष्ट्र सरकार कुछ नहीं कर रही है?
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीज़ों की संख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ने के बीच राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के 80 फ़ीसदी बेड को अपने हाथों में ले लिया है।
अकेले महाराष्ट्र में ही 41 हज़ार 642 कोरोना पॉजिटिव मामले आ गए हैं। हाल के दिनों में हर रोज़ 2000 से ज़्यादा नये पॉजिटिव मामले आ रहे हैं और गुरुवार को भी राज्य में 2345 नये पॉजिटिव मामले आए।
केंद्र सरकार जब देश भर में लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने और साथ ही इसमें ढील देने के लिए घोषणाएँ कर रही थी तब महाराष्ट्र में कोरोना वायरस पॉजिटिव के मामले रिकॉर्ड बना रहे थे।
कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से महाराष्ट्र की जेलों में बंद 50 फ़ीसदी कैदियों को रिहा किया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि जेलों में कैदियों की संख्या कम की जाए क्योंकि वहाँ क्षमता से काफ़ी ज़्यादा कैदी हैं।