कोरोना से पैदा हुआ आर्थिक संकट मानव इतिहास का सबसे बड़ा संकट बनता जा रहा है। आलोक अड्डा में वरिष्ठ पत्रकार शिवकांत शर्मा का कहना है कि सिर्फ अमेरिका का हाल देख लें तो यह 1930 की महामंदी से भी बड़ी महामंदी बनती दिख रही है।
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि भारत में क़रीब 80 फ़ीसदी ऐसे कोरोना के मरीज़ हैं जिनमें कोरोना वायरस के कोई लक्षण ही नहीं दिखे थे।
आख़िर किस सुविचारित साज़िश या रणनीति के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भ्रामक दावा देश के सामने पेश किया है कि भारत में कोरोना संक्रमण के फैलने की दर दुनिया के तमाम विकसित देशों से बेहतर और संतोषजनक है।
क्या मध्य प्रदेश, कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी ‘ऑपरेशन लोटस’ को अंजाम दिए जाने की तैयारी चल रही है। वह भी ऐसे समय में जब देश कोरोना का संकट झेल रहा है।
केरल में रेस्त्राँ, किताब की दुकानों को खोलने और शहरों के बीच बसों को शुरू करने के राज्य सरकार के फ़ैसले पर केंद्र सरकार ने आपत्ति की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस संबंध में जवाब माँगा है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने लॉकडाउन को 7 मई तक बढ़ाने की घोषणा की है। उन्होंने इसके लिए सख़्ती रहेगी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने यह फ़ैसला लिया है।
इस कठिन समय में सरकार के समक्ष भी विकल्प चुनने का संकट है कि लोगों की ‘ज़िंदगी’ और ‘रोज़ी-रोटी’ में से पहले किसे बचाए? मौजूदा संकट को भी एक युद्ध ही बताया गया है।
कोरोना मरीज़ों में किडनी फ़ेल होने के मामले काफ़ी ज़्यादा आ रहे हैं और अमेरिका फ़िलहाल किडनी के डायलिसिस मशीनों की कमी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
प्रवासी छात्रों और मज़दूरों को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर हैं। क्या ये जंग नवंबर में बिहार विधान सभा के चुनावों की तैयारी का हिस्सा है। देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
जो कम्पनी आज 5000 लोगों को खाना बाँट रही है, वह जब 1000 कामगारों की छँटनी करेगी तो हम जो उससे यह अनुदान लेकर लोगों को ज़िंदा रखने का संतोष लाभ कर रहे हैं, क्या उन कामगारों की तरफ़ से कुछ बोल पाएँगे?
चीन आजकल हमारी ख़बरों के केंद्र में है। दरअसल, यह अमेरिकी ख़बरों के केंद्र में है और हमारे यहाँ उसकी कॉपी हो रही है। अमेरिका में यह चुनावी साल है और पश्चिम के लिये मौजूदा विलेन चीन है! हांगकांग में बैठे समर अनार्य से यह प्रसंग डिकोड करा रहे हैं शीतल पी सिंह।