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कोरोना का डर, सरकारी सख़्ती के बाद लंगर बांटने से पीछे हटी एसजीपीसी

कोरोना वायरस ने मानवता को समर्पित पंजाब की विश्व विख्यात रवायत लंगर सेवा पर भी असर डाल दिया है। सरकारी सख़्ती के बाद अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने लंगर सेवा से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं। एसजीपीसी के मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंह ने इसकी पुष्टि की है। 

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अब तक पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के लगभग 80 गुरुद्वारों में लंगर तैयार करवाकर प्रतिदिन लाखों जरूरतमंदों का पेट भर रही थी। लेकिन अब इसकी रफ्तार रुक गई है। पटियाला, होशियारपुर और जालंधर में लंगर की सेवा में शामिल कुछ लोगों के कोरोना संक्रमित होने के बाद सरकार ने खुले में लंगर वितरित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद एसजीपीसी ने भी लंगर वितरण की सेवा में भारी कटौती कर दी है। 

अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब में तैयार करके बांटा जाने वाला लंगर लगभग बंद कर दिया गया है। अब सिर्फ परिसर में बने लंगर हॉल में आई संगत और यहां पहुंचे जरूरतमंदों को ही लंगर मुहैया करवाया जा रहा है।

अमृतसर के अन्य गुरुद्वारों में भी लंगर वितरण का काम फिलहाल रोक दिया गया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य सचिव डॉ. रुप सिंह कहते हैं, ‘सरकार और प्रशासन की हिदायतों के बाद लंगर बांटने की सेवा में कमी आई है। कुछ जिलों के उपायुक्तों ने इस सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया है।’ उधर, अमृतसर के जिला उपायुक्त शिवदुलार सिंह ढिल्लोंं ने कहा कि सूबे में कोरोना वायरस के बेतहाशा बढ़ते ख़तरे के मद्देनजर कुछ एहतियाती कदम उठाए गए हैं। इसके तहत एसजीपीसी को भी जरूरी हिदायत दी गई है।   

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ग़ौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद पंजाब में लागू हुए कर्फ्यू और देशव्यापी लॉकडाउन के बाद एसजीपीसी सहित हजारों धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं लाखों जरूरतमंदों तक खाना पहुंचा रही थीं। लेकिन कुछ लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद सरकार को सख़्ती करनी पड़ी है। 

ऐसे में जो संस्थाएं निजी तौर पर लंगर बांट रही थीं, उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया है। शेष संस्थाएं लाइसेंस लेकर सरकारी अमले के साथ लंगर बांंट सकती हैं। उनके लिए विशेष एडवाइजरी भी जारी की गई है। शहरी इलाक़ों में लंगर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और पटवारी की देखरेख में बांटा जाएगा जबकि ग्रामीण इलाकों में यह काम सरपंच के जरिए होगा। 

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यह क़दम इसलिए उठाया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य नियमों की अनदेखी न हो और सावधानी का पूरा पालन हो। सख्ती के बाद लगभग 75 फीसदी संस्थाओं ने लंगर सेवा से हाथ खींच लिया है।

प्रवासी मजदूरों पर असर

इसका सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ रहा है। पंजाब के तमाम इलाकों से ख़बरें हैं कि श्रमिकों तक उनके ठिकानों पर पहुंचाया जाने वाला लंगर अब नहीं पहुंच रहा है और वे भुखमरी की कगार पर हैं। लुधियाना, जालंधर और अमृतसर में प्रवासी मजदूरों की तादाद सबसे ज्यादा है। पंजाब के एक से दूसरे कोने तक प्रवासी मजदूर अभावग्रस्त हैं और मुसीबत के इस वक्त में लंगर ही उनका सबसे बड़ा सहारा है।

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अमरीक

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