मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे एक पत्रकार का कोरोना टेस्ट पाॅजिटिव निकला है। इसके बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है।
हम भारतीय बड़े ख़ुशक़िस्मत हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि मैं कोई मोदी का भक्त हूँ। मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मोदी जी ग़रीबी में पले और बड़े हुए हैं।
कोरोना वायरस के लिए डॉक्टर पति-पत्नी को ड्यूटी लगाने पर झारखंड में अजीब मामला सामने आया है। कोरोना के डर से सरकारी अस्पताल में काम करने वाली दंपती ने इस्तीफ़ा दे दिया है। अब अस्पताल प्रशासन ने दोनों को चेतावनी भेजी है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सरकार ने सारी तैयारी कर रखी है और दूध, सब्जी, किराने का सामान, इन सारी चीज़ों का ध्यान रखा जाएगा और ये लोगों को मिलती रहेंगी।
अमेरिका में कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने चेताया है कि यूरोप के बाद अब कोरोना महामारी का केंद्र अमेरिका हो सकता है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा है कि यदि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर लोग बाहर घूमते हुए दिखे तो देखते ही गोली मारने के आदेश भी दिए जा सकते हैं।
लॉकडाउन की घोषणा तो हो गई लेकिन देश की एक बड़ी जनसंख्या जो रोज़ कमाने -रोज़ खाने जैसे हालात में जीवन बसर करने के लिए मजबूर है, उसका क्या होगा? काम-धंधे बंद हैं, कमाई का कोई ज़रिया नहीं, ऐसे में ये लोग अपना पेट कैसे भरेंगे?
मोदी सरकार क्यों कोरोना से निपटने में पिछड़ गयी ? उसकी लापरवाही कहीं देश को मंहगा न पड़े ? दक्षिण कोरिया ने कैसे और किस तरह बिना लाकडाउन किये कोरोना पर क़ाबू पाया ! काश मोदी सरकार दक्षिण कोरिया से सबक लेते !
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात पूरे देश मेें लॉकडाउन की घोषणा की। यह 21 दिनों तक के लिए होगा। अब सरकार ने ही इसकी सूचना जारी कर साफ़ कर दिया है कि क्या बंद रहेंगे और क्या खुले रहेंगे।
बीते 50 दिन में 1,70, 209 एनआरआई पंजाब आए। यह वह वक़्त था जब कोरोना वायरस चीन सहित कई देशों में पैर पसार चुका था। लेकिन भारत सरकार की कड़ी हिदायतों के बावजूद इनमें से अधिकांश ने मेडिकल जाँच नहीं करवाई।
मोदी सरकार ने बीते एक साल में कॉर्पोरेट घरानों को राहत देने के लिये कई फ़ैसले किये लेकिन लॉकडाउन के कारण खाली बैठे दिहाड़ी मजदूरों के लिये अब तक कुछ नहीं किया है।