सरकार ने कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच की अवधि बढ़ा दी है। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह? टीकाकरण पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को क्यों फटकारा? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण-
कोविशील्ड वैक्सीन की जो खुराकें शुरुआत में 4 हफ़्ते के अंतराल में लगाई जा रही थीं उसको 12-16 हफ़्ते बढ़ाने की सरकारी पैनल ने सिफ़ारिश की है। कोविशील्ड की खुराक लेने के अंतराल में बढ़ोतरी से सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
ऐसे समय जब पहले से तय कार्यक्रम के अलावा अब 18 से 44 साल की उम्र के लगभग 59 करोड़ लोगों को कोरोना टीका देने का अतिरिक्त बोझ देश पर आ चुका है, सीरम इंस्टीच्यूट के ने साफ कह दिया है कि जुलाई तक भारत में कोरोना टीके की किल्लत रहेगी।
कोरोना टीका कोवीशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ़ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला सपरिवार भारत छोड़ कर लंदन चले गए हैं। उन्होंने वहाँ कहा है कि उन्हें टीके की आपूर्ति को लेकर धमकियाँ मिल रही थीं, वह ऐसी स्थिति में काम नहीं कर सकते, लिहाज़ा लंदन में हैं।
भारत में बनने वाला कोरोना टीका कोवीशील्ड विदेशों में भारत की तुलना में सस्ते में बिक रहा है। भारतीय कंपनी भारत को वही दवा ऊंची कीमत पर बेच रही है, लेकिन वही कंपनी वही दवा विदेशों को उससे कम कीमत पर निर्यात कर रही है।
सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की क़ीमतों की घोषणा की है। इसने कहा है कि कोविशील्ड के प्रति डोज के लिए राज्यों को 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 600 रुपये चुकाने होंगे।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन को लेकर दुनिया भर में जो हो रहा है वह आगे चलकर भारत के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। यह सब भारत की वैक्सीन नीति से होगा।
केंद्र सरकार ने अब कहा है कि कोविशील्ड की दो खुराक के बीच 6-8 हफ़्तों का फासला होने से बेहतर परिणाम आता है। लेकिन यही केंद्र सरकार अब तक इस टीके को 4 हफ़्ते के अंतराल पर लगवाती रही। ऐसा क्यों?