‘ज्ञान के मसीहाओं’ ने अपने मूल्यों को जीवित रखने के लिए सांस्कृतिक त्योहारों का निर्माण किया तो ‘अज्ञानता के तानाशाहों’ ने उन्हीं त्योहारों को धार्मिक स्वरूप प्रदान कर घृणा का औजार बना दिया।
एनजीटी ने दिल्ली एनसीआर में दीवाली पर पटाखे पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और कई राज्यों में भी ऐसे ही प्रतिबंध लगे हैं। क्या बिना पटाखे-दीये के दीवाली का उत्सव मनाया जा सकता है?
जब देश में आर्थिक हालात बेहद ख़राब हों तो दीपावली का जश्न फ़ीका लगता है। लेकिन मीडिया और सत्तारुढ़ वर्ग यह बताने की कोशिश कर रहा है कि देश में सब कुछ सामान्य है।