दिल्ली दंगों के दौरान फ़ेसबुक पर नफ़रत वाली सामग्री कितनी थी और क्या कार्रवाई की गई थी? दिल्ली के विधानसभा पैनल के सामने नफ़रत वाली सामग्री को लेकर क्या फ़ेसबुक सही से जवाब दे रहा है?
फ़ेसबुक पर क्यों आरोप लग रहा है कि नफ़रत और हिंसा वाली सामग्री पर कार्रवाई नहीं की? जानिए, एक के बाद एक रिपोर्टें फ़ेसबुक के आंतरिक सिस्टम को कैसे उजागर कर रही हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म फेसबुक पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लग चुके हैं। उस पर चुनावों को प्रभावित करने,हेट स्पीच को रोकने में फ़ेल रहने के भी आरोप लगे हैं।
फ़ेसबुक पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं। उस पर चुनावों को प्रभावित करने, वर्ग विशेष के ख़िलाफ़ होने वाली पोस्ट्स पर कार्रवाई न करने के भी आरोप लगे हैं।
फ़ेसबुक पर आख़िर बार-बार नफ़रत फैलाने का आरोप क्यों लगता है? आंतरिक सिस्टम पर सवाल उठने के बाद फ़ेसबुक ने ही अब क्यों कहा है कि अल्गोरिदम का गहन विश्लेषण किया गया?
फ़ेसबुक पर इससे पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। उस पर आरोप लगा था कि उसने बीजेपी के कहने पर कुछ लोगों के फ़ेसबुक पेज को अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया।
हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा।
फ़ेसबुक इंडिया ने यह माना है कि उसने वायरल हो चुके #ResignModi को कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया था। उसने सफाई देते हुए कहा है कि यह गलती से हो गया था और ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार ने उससे कहा नहीं था।
भारत में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को ग़लत ढंग से फ़ायदा पहुँचाने और उसके लिए अपने नियम क़ानून को ताक पर रखने के लिए फ़ेसबुक एक बार फिर विवादों में है।
फ़ेसबुक डाटा सुरक्षा में सेंधमारी की बार-बार आती रही रिपोर्टों के बीच अब 53 करोड़ फ़ेसबुक यूज़रों की गुप्त जानकारी ऑनलाइन पाई गई है। जिनकी जानकारियाँ लीक हुई हैं वे 100 से अधिक देशों के यूजरों की हैं।