पिछले दिनों पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट या पीडीएम के नाम से बना गठबंधन वैसे तो एक दूसरे की मुख़ालिफ़ सियासी पार्टियों का जोड़ है, पर सेना के प्रति ग़ुस्सा उन्हें एक किये हुये है। क्या इमरान ख़ान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है?
क्या इमरान खान की सरकार अपने आख़िरी चरण में जा पहुँची है ? कराची में पुलिस और सेना सड़क पर आमने सामने क्यों आ गई है? पाकिस्तान का यह दौर कितने खून ख़राबे की ज़मीन तैयार कर रहा है और दुनियाँ पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? बता रहे हैं दानिश्वर विभूति नारायण राय
एकजुट विपक्ष ने न केवल इमरान को कड़ी दी चुनौती दे दी है, बल्कि सेना को भी निशाने पर लिया है। ऐसे में क्या करेंगे इमरान, क्या करेगी सेना? चार बड़ी पार्टियों का संयुक्त मोर्चा पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट इमरान और सेना दोनों के लिए सिरदर्द बन गया है। पीडीएम के तीखे तेवरों से हालात बहुत उलझ गए हैं और कुछ भी हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने दावा किया है कि उन्होंने सुरक्षा परिषद में भाषण देकर ‘भारतीय आतंकवाद’ की निंदा की है। अकरम से कोई पूछे कि सुरक्षा परिषद में आपको घुसने किसने दिया?
कश्मीर का मसला इमरान ख़ान की हुकूमत के लिए गले की हड्डी बन गया है। इसके चलते सउदी अरब के साथ पाकिस्तान के रिश्ते खराब हो गए हैं और अब उसको सुधारने के लिए नाक़ रगड़नी पड़ रही है। पेश है लाहौर स्थित पत्रकार सज्जाद अज़हर पीरज़ादा से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत।
पड़ोस में इस बार पाकिस्तान की चर्चा है। बाघा बॉर्डर से होकर अफ़ग़ानिस्तान के मेवे अब भारत पहुँच सकेंगे लेकिन भारतीय सामान अभी भी पाकिस्तान के सड़क मार्ग से होकर काबुल नहीं जा सकता? कुलभूषण का मुद्दा भी भारत पाकिस्तान के बीच रिश्तों की कड़वाहट और बढ़ाता रहा है, उसमें क्या हो रहा है और क्या हो सकता है आदि पर टिप्पणी कर रहे हैं दानिश्वर विभूति नारायण राय।
चुनाव अभियान के दौरान अपने भाषणों में इमरान ख़ान ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान में 'मदीना की रियासत' लाएँगे। लेकिन क्या यही वो कल्याणकारी राज्य है जिसका उन्होंने वादा किया था?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने मंगलवार को पाकिस्तानी संसद को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इसमें कोई शक नहीं है कि भारत कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमले का ज़िम्मेदार है’।
अब कोरोना महामारी से उपजे संकट के बीच पाकिस्तान के हालात एक बार फिर से करवट लेने लगे हैं। कहा जाने लगा है कि अब इमरान ख़ान चंद दिनों के मेहमान हैं और सेना ने वहाँ तख्तापलट की तैयारी कर ली है।
अटकलें तेज़ हो गई हैं कि फौज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से नाराज़ है। कोरोना से से निपटने के मामले में इमरान ख़ान ने जो ढिलाई दिखाई है, उससे ख़फ़ा होकर ही उसने एकतरफा तौर पर लॉकडाउन की घोषणा करके कमान अपने हाथों में ले ली है। ऐसे में क्या तख्ता पलट के लिए उनके ख़िलाफ़ अब माहौल बन चुका है?
भारत ने संघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को न्योता दिया है। सवाल उठ रहा है कि क्या भारत की नीति बदल गई है?