2019 चुनाव जैसी कठिन रेस की शुरुआत में कोई भी अटकल लगाना ख़तरे से खाली नहीं है। फिर भी, मैं वे दस कारण बताना चाहूँगा कि क्यों मुझे लगता है कि इस दौड़ में फ़िलहाल नरेंद्र मोदी काफ़ी आगे हैं।
मोदी ने अपने प्रचार में करोड़ों-अरबों रुपये ख़र्च कर दिए। विदेश-यात्राओं में अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों को मात दे दी और कुल मिलाकर प्रचार मंत्री ही साबित हुए।
विधानसभा में भाजपा के साथ मिलकर इन दलों ने शिवसेना को पटकनी देने में मदद की थी, लेकिन आज बीजेपी को शिवसेना का साथ मिलने पर ये सहयोगी दल बेगानों जैसे हो गये हैं।
आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन महाराष्ट्र में गठबंधन और सीटों के बंटवारे का खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ है। आकलन लगाया जा सकता है कि इस बार मुक़ाबला त्रिकोणीय होने वाला है।
चुनाव में एक तरफ मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन है, तो दूसरी तरफ़ यूपीए गठबंधन जिसमें कांग्रेस भी है। देखना है कि विपक्ष कितना एकजुट होकर मोदी के ख़िलाफ़ लड़ पाता है।
चुनाव आयोग ने इस बार राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को सोशल मीडिया पर प्रचार करने से संबंधित कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं। प्रचार के दौरान उन्हें इनका पालन करना होगा।