महात्मा गाँधी की एक कट्टरपंथी हिंदू के हाथों हत्या के बाद के 71 बरसों में बार-बार यह सवाल खड़ा किया गया है कि गाँधी के विचारों और उनके सिद्धांतों की प्रासंगिकता क्या है?
गाँधीजी के जिस मित्र ने उन्हें यह कहकर माँस खाने पर उकसाया कि इससे वह शक्तिशाली और निडर हो जाएँगे वही मित्र उन्हें वेश्या के पास भी ले गया। वहाँ क्या हुआ, पढ़िये उसके बारे में।
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि अहिंसा का पुजारी किसी जीव का माँस भी खा सकता है और वह भी एक नहीं, कई-कई बार? क्या आपको पता है कि गाँधी जी ने माँस क्यों खाना शुरू कर दिया था?
क्या आपको पता है कि गाँधीजी ने किशोरावस्था में चोरियाँ की थीं, कभी बीड़ी ख़रीदने के लिए, कभी मँझले भाई का उधार चुकाने के लिए? बाद में उन्होंने इन चोरियों का प्रायश्चित्त क्यों किया?
क्या 2 अक्टूबर गंदी आत्माओं का पर्व है? या उनका, जिनके हाथ भले तकली न हो, भले वे राम धुन न गा रहे हों, भले वे गाँधी का नामजाप भी न कर रहे हों, लेकिन उनके बताए मार्ग पर चल रहे हों?
आज वही तोलस्तोय कठघरे में हैं जिन्हें महात्मा गाँधी अपना 'आध्यात्मिक गुरु' मानते थे। बाम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस सारंग कोतवाल ने वेरनॉन गोंजाल्विस से सवाल किया कि उन्होंने 'दूसरे देश के युद्ध की किताब' अपने घर में क्यों रखी है।
कुछ ही दिनों में गाँधीजी की 150वीं जयंती आने वाली है और प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी बड़े नेता उनको याद कर दावा करेंगे कि वे गाँधीजी के ही बताए मार्ग पर चल रहे हैं। क्या वे जम्मू-कश्मीर के मामले में ऐसा कर रहे हैं?
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने सैकड़ों वादे किेए थे। लेकिन काम का हिसाब जनता को देने के बजाय सिर्फ़ हिंदू राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाकर चुनाव जीतने की कोशिश की जा रही है।
सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अपनाने का बीजेपी की तरफ़ से अभियान चल रहा है। तो क्या बीजेपी गाँधी को अपना बना पायेगी?