चीन की हरकतों ने देश भर में रोष भर दिया है और चीनी माल के बहिष्कार का अभियान तेज़ हो गया है। कई जगह चीनी सामान नष्ट भी किया गया है। मगर इस अभियान के पीछे एक राजनीतिक एजेंडा भी काम कर रहा है। क्या है ये राजनीतिक एजेंडा और कौन है इसके पीछे बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा विवाद पर लगातार खामोश हैं। वे साठ किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा कर लिए जाने के बाद भी चुप रहे और अब बीस सैनिकों के शहीद होने पर उन्होंने चुप्पी तो तोड़ी मगर ख़ूनी झड़प पर कुछ नहीं बोले। उनकी चुप्पी से संदेह और अविश्वास का वातावरण बन रहा है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
भारत सरकार ने नेपाल से लिपुलेख सीमा विवाद पर बातचीत के संकेत तो दिए हैं, मगर बहुत देर से। ये देरी मोदी सरकार की अहंकार एवं उपेक्षा की वज़ह से हुई है और इसने नेपाल को इतना दूर कर दिया है कि अब दोनों देश शत्रुओं की तरह आमने-सामने खड़े नज़र आ रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
मोदी सरकार ने पीएम केयर्स फंड की जाँच एक स्वतंत्र एजंसी से कराने की बात कही थी, लेकिन इसके लिए जिस कंपनी को नियुक्त किया गया है उसके बीजेपी और संघ से करीबी संबंध हैं। ऐसे में ये संदेह और गहरे हो गए हैं कि सरकार सचमुच में जाँच करवाना चाहती है या फिर गड़बड़ियों को छिपाना। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
मोदी सरकार ने पीएमकेयर्स फंड की जाँच एक स्वतंत्र एजंसी से कराने की बात कही थी, लेकिन इसके लिए जिस कंपनी को नियुक्त किया गया है उसके बीजेपी और संघ से करीबी संबंध हैं। ऐसे में ये संदेह और गहरे हो गए हैं कि सरकार सचमुच में जाँच करवाना चाहती है या फिर गड़बड़ियों को छिपाना। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
राहुल गाँधी पिछले कुछ समय से विशेषज्ञों और जाने-माने लोगों से बातचीत कर रहे हैं। सवाल उठता है कि इस बातचीत का मक़सद क्या है और इससे उन्हें और उनकी पार्टी को क्या फ़ायदा हो सकता है? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण-
सरकार इन ख़बरों का खंडन नहीं कर रही है कि लद्दाख सीमा पर चीन ने भारत की साठ किलोमीटर ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है। वह कोई कार्रवाई करती हुई भी नज़र नहीं आ रही है। उसके इस रवैये से ये भ्रांति टूट रही है कि वह देश की सुरक्षा करने के मामले में सक्षम है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-