शुरू में ऐसा लग रहा था कि काँग्रेस बदरुद्दीन अजमल से गठबंधन करके फँस गई है इसलिए ठीक से जवाब नहीं दे पा रही, लेकिन अब उसने पलटवार की रणनीति अपना ली है। ये नई रणनीति कितनी कारगर होगी?
सत्य हिंदी के सलाहकार संपादक ने गुवाहाटी से नॉर्थ गुवाहाटी की स्ट्रीमर से यात्रा के दौरान लोगों से बात करके ये जानने की कोशिश की वे वर्तमान सरकार और उसके कामकाज को लेकर क्या सोचते हैं।
असम के चुनाव में इस बार राज्य की राजनीति पलटती हुई दिख रही है। पहचान की राजनीति अब असमिया से हिंदुत्व की तरफ बढ़ रही है। इसने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। असम से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
हिमंत बिस्व शर्मा छल-बल की राजनीति में माहिर हैं। काँग्रेस से बीजेपी में आने के बाद वे एकदम से हिंदुत्व के झंडाबरदार बन गए हैं और मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहे हैं। अगर पार्टी जीती तो वे मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
डॉ. मुकेश कुमार की पुस्तक ‘मीडिया का मायाजाल’ मीडिया विषयक चार दर्जन लेखों का संग्रह है जिसमें बीते चार-पाँच साल में मीडिया के स्वभाव में आए परिवर्तन चिंता के साथ व्यक्त हुए हैं।
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों की तादाद कम ज़रूर हो गई है, मगर आंदोलनरत किसानों के हौसले कम नहीं हुए हैं और न ही उनका संकल्प ढीला पड़ा है। मगर सवाल उठता है कि सौ दिनों में उन्होंने क्या हासिल किया है? ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
एक फ़रवरी को तख्ता पलटने के बाद से म्यांमार के फौजी शासकों ने बर्मी जनता का जो दमन शुरू किया था, उसकी तीव्रता बढ़ती जा रही है और वह अधिक हिंसक होता जा रहा है।
ट्विटर पर कार्रवाई के बीच सूचना एवं तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद अपने ख़ास अंदाज़ में बारंबार कह रहे हैं कि विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को भारतीय संविधान एवं क़ानूनों का पालन करना ही पड़ेगा।
प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि वे मोदीजी को धन्यवाद देती हैं कि उन्होंने हमें आंदोलनजीवी कहा। वे आंदोलनजीवी होने पर गर्व करती हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की उनके साथ बातचीत-
29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर हुए पथराव की तमाम सचाइयाँ सामने आ गई हैं। यह साफ़ हो गया है कि किसानों के आंदोलन से नाराज़ स्थानीय लोग इस प्रायोजित हिंसा में शामिल नहीं थे।
22 मई, 1987 को हुआ हाशिमपुरा कांड मुसलमानों की सामूहिक रूप से की गई स्वतंत्र भारत के इतिहास में हिरासती हत्याओं का सबसे बड़ा मामला था। इस पर विभूति नारायण राय ने 'हाशिमपुरा 22 मई' किताब लिखी है। पेश है इसकी समीक्षा।
कौन किसान आंदोलन में कराना चाह रहा है हिंसा ? किसानों को धमकी कौन दे रहा है? बंगाल चुनाव से पहले नेताजी सुभाष चेन्द्र बोस को लेकर आमने सामने बीजेपी और टीएमसी! देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ। satya Hindi