देश का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर असम के ग्वालपाड़ा में बन रहा है और वह भी केंद्र के पैसे से, पर प्रधानमंत्री मान नहीं रहे हैं।
अमित शाह ने एक इंटरव्यू में एनपीआर और एनआरसी पर सफ़ाई दी और कहा कि दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है। तो पहले उनकी पार्टी क्यों संबंध बताती रही थी? क्या शाह झूठ नहीं बोल रहे हैं? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
पॉन्डीचेरी विश्वविद्यालय की गोल्ड मेडलिस्ट रबीहा अब्दुररहीम ने अपना पदक लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ आन्दोलन कर रहे छात्रों के समर्थन में ऐसा किया।
सरकार ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने के अपने फ़ैसले से पीछे हटने के संकेत दिए हैं। इस मामले में बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नक़वी और राम माधव का बयान आया है।
सरकार कह चुकी है कि पूरे देश भर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी लागू किया जाएगा। क्या जो प्रक्रिया असम में अपनाई गई वही पूरे देश में लागू होगी?
संसद के इस सत्र को गृह मंत्री अमित शाह ने अपने, अपनी पार्टी और अपनी विचारधारा के नाम कर लिया। उन्होंने बड़ी चतुराई और दृढ़ता से पूरे देश में ध्रुवीकरण की राजनीति को नयी आँच दे दी जो राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ठंडी पड़ना शुरू हो गई थी। सत्य हिंदी पर देखिए शीतल के सवाल।
अब अमित शाह ने क्यों कहा है कि एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा? क्या यह किसी को डराने के लिए है? और उनके डरने से क्या अमित शाह या बीजेपी को क्या फ़ायदा होगा? देखिए इसका विश्लेषण सत्य हिंदी पर शैलेश की रिपोर्ट में।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा सफ़ाई देते हुए कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल अलग-अलग चीजें हैं। एनआरसी पूरे देश में लागू होगा और इसमें सभी धर्मों के लोग आएंगे।
उत्तर प्रदेश में ऐसे लोगों की पहचान करने को क्यों कहा गया है कि कोई संदिग्ध बांग्लादेशी तो नहीं है? घूमंतु लोगों के पास कागजात नहीं होने पर उनके साथ क्या किया जाएगा? उत्तर प्रदेश में उपचुनाव से पहले ऐसा फ़ैसला क्यों? देखिए आशुतोष की बात में क्या हैं इसके मायने।
क्या असम के तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू किया जाएगा? यह सवाल इसलिए अहम है कि यूपी पुलिस प्रमुख ने सभी ज़िला सुपरिटेंडेंड को चिट्ठी लिख कर कहा है कि वे अपने इलाक़े में बांग्लादेशियों की पहचान करें।