एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित एक अस्पताल के मालिक यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि ऑक्सीजन आपूर्ति कम होने की वजह से मॉक ड्रिल कर यह जानने की कोशिश की गई थी कि ऑक्सीजन न मिलने पर रोगियों के साथ क्या हो सकता है।
केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि उसकी ओर से भेजे गए सभी वेंटीलेटर की ऑडिट होगी, यानी इसका हिसाब किताब रखना होगा कि इन वेंटीलेटर का इस्तेमाल कहाँ, कैसे और कब हुआ।
दिल्ली के हर ज़िले में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर बैंक बनाए जाएंगे ताकि राजधानी में किसी को ऑक्सीजन की कमी न हो। अपने-अपने घरों में आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीज़ भी ये ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर माँग सकते हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाते हुए इससे जुड़े सरकारी अधिकारियों को जो़रदार फटकार लगाई है और कहा है कि इसकी आपूर्ति नहीं करना अपराध है और यह किसी तरह नरसंहार से कम नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन सप्लाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को अदालत की अवमानना का नोटिस दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आपको सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना ही होगा।
कर्नाटक के चामराजनगर स्थित एक सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से दो घंटे में 24 लोगों की मौत हो गई। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि कर दी है।
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से एक डॉक्टर समेत आठ लोगों के मारे जाने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को ज़बरदस्त फटकार लगाते हुए कहा है कि चाहे जहाँ से हो, दिल्ली को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ऱोज दो।
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के बाद अब दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। उसने अरिवंद केजरीवाल सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि आप से मामला संभल नहीं रहा है, बहुत हो चुका, यदि आप नहीं संभाल सकते हैं, तो हम ये चीजें केंद्र को सौंप देंगे।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह माना है कि ऑक्सीजन, कोरोना टीका और अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है। इससे लोगों की जान बचाने में दिक्क़त हो रही है, पर सरकार कोशिश कर रही है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन की उपलब्धता और उनकी क़ीमत, ऑक्सीजन, कोरोना बेड और राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था के बारें में केंद्र सरकार से जबाव माँगे हैं।
झारखंड के बोकारो से मध्य प्रदेश के सागर ज़िला अस्पताल के लिए आ रहे ऑक्सीजन टैंकर को उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर में रोक लिया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप के बाद ही उस टैंकर को छोड़ा गया।
ऑक्सीजन की कमी कितनी ख़तरनाक है, इसका अंदाज़ा उत्तर प्रदेश के कुछ आँकड़ों से लगा सकते हैं। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक़, लखनऊ में रोज़ 65 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की जरुरत है जबकि शुक्रवार को 56 मैट्रिक टन ही उपलब्ध था। यानी 9 मैट्रिक टन की कमी।
कोरोना से लड़ने में सरकार क्यों नाकाम है, उसने क्यों पहले से तैयारी नहीं की, ये सवाल हैं। लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सरकार चुनते वक्त किसी ख़ास समुदाय के प्रति नफ़रत नहीं थी? सवाल उठा रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।
इस समय कोरोना से जूझ रहे लोगों को बचाने का जितना काम पत्रकार कर रहे हैं, उतना शायद ही कोई कर रहा होगा। इस देश मे पिछले कुछ वर्षों से पत्रकारिता औऱ पत्रकार दोनों बदनाम रहे हैं। यह पूरी संस्था ही शक और संदेह में घिरी रही है।