भारत सरकार नई शिक्षा नीति में जैसे प्रस्ताव है, हिंदुत्व की परिकल्पना पेश करने वाले पहले राष्ट्रवादी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने भी कुछ इसी तरह की शिक्षा का सपना देखा था।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1884 में पहली बार हिंदुइज़्म से अलग हिंदुत्व की परिकल्पना पेश की। उन्होंने बार-बार ब्रिटिश सरकार से अपील की कि धार्मिक तटस्थता की नीति त्यागकर जातीय प्रतिबंधों को कठोरता से लागू करे।
उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं में ज़बरदस्त नाराज़गी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्ता में आने के बाद इस समाज को उम्मीद जगी थी कि कुछ बेहतर होगा। अब वे ख़ुद को ठाकुर बनाम ब्राह्मण की लड़ाई में घिरे पा रहे हैं।
जाति आधारित आरक्षण ख़त्म करने की वकालत क्यों की जाती है? क्या इससे जाति व्यवस्था का उन्मूलन होगा, आरक्षण विवाद ख़त्म होगा? औद्योगिक विकास के बीच जातीय हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव क्यों होते हैं?
एम्स में अनुसूचित जाति एवं जनजाति सेल समिति द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट में पाया गया है कि एम्स की महिला डॉक्टर के ख़िलाफ़ जातिगत और लैंगिक टिप्पणी की गई है। उसके सीनियर रेजिडेंट ने महिला चिकित्सक को ‘औकात में रहो’ जैसी टिप्पणियाँ कीं।
तमिलनाडु के कोयंबटूर में इरोड वेंकट रामास्वामी नायकर ‘पेरियार’ (ईवीआर) की प्रतिमा को किसने विरूपित किया? समाज के वंचित तबक़े के संघर्षों के प्रतीक महापुरुषों के ख़िलाफ़ घृणा कौन चला रहा है?
उत्तर प्रदेश की खस्ताहाल क़ानून व्यवस्था चर्चा में है। प्रदेश के तमाम ज़िलों में हत्याएँ, बलात्कार, जातीय संघर्ष की ख़बरें आ रही हैं। हिंसा के शिकार ज़्यादातर दलित पिछड़े वर्ग के लोग बन रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि उन्हीं राज्यों में श्रमिकों को काम करने के लिए वापस भेजा जाएगा जो मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देंगे। क्या वह सच में मज़दूरों के लिए चिंतित हैं?
लॉकडाउन के कारण हज़ारों मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। इससे वंचित तबके को भयंकर नुक़सान हुआ है लेकिन बीजेपी समर्थक तबके पर कोई असर नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की इजाजत नहीं दी जा सकती। यह टिप्पणी अनुसूचित जनजातियों को 100 प्रतिशत आरक्षण देने के 20 साल पुराने फ़ैसले पर आई है।