प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के कई मंत्रियों ने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के नारे को जोर-शोर से उछाला था। लेकिन क्या हम उस दिशा में आगे बढ़ पाए हैं?
आर्यन मामले में एक गवाह ने आरोप लगाया है कि सौदा 25 करोड़ का था, 18 करोड़ में तय होता और 8 करोड़ समीर वानखेड़े को जाता। एनसीबी ने आरोप खारिज किए तो क्या शाहरूख ख़ान इसकी पुष्टि करेंगे?
सेंट्रल जीएसटी गाज़ियाबाद की टीम ने 115 करोड़ रुपये के लेन-देन के मामले में 21 फर्जी फर्म के माध्यम से 17.58 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा किया है। आख़िर जीएसटी सिस्टम में यह छेद क्यों है?
एक तरफ़ कोरोना टीकों की कमी है तो दूसरी तरफ हर कोई लगवा सकता है और टीके की क़ीमत तय नहीं है। सरकार मुफ्त में किन लोगों को लगवाएगी, यह भी तय नहीं हुआ है, काम शुरू होना तो छोड़िए। आख़िर टीकाकरण की नीति क्या है?
अख़बारों में ख़बर है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजास्थल क़ानून के ख़िलाफ़ दायर एक याचिका को स्वीकार कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। आख़िर ऐसा क्यों किया?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में कोरोना वायरस से बचाव की कार्रवाई काफ़ी देर से शुरू हुई। क्रोनोलॉजी से आप जानते हैं कि चीन में इसका पता 31 दिसंबर को चला था और भारत में पहला मामला 30 जनवरी को मिला था।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली ने कहा है कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने उनके मन में संशय पैदा कर दिया है और वह इससे “बेहद परेशान” हैं।
निर्मला सीतारमण ने देश की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के लिए पिछली सरकार को ज़िम्मेदार बता दिया है। क्या सिर्फ़ दूसरे को दोष देकर समस्या का समाधान हो जाएगा?
देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक साढ़े छह साल में सबसे कम है। जुलाई के मुक़ाबले अगस्त में औद्योगिक विकास 4.3 प्रतिशत से घटकर -1.10 प्रतिशत पर आ गया है। ऐसा क्यों हुआ, सरकार बताएगी?
सरकार ने रिजर्व बैंक से पैसे तो ले लिए लेकिन अब वह उसके राजनीतिक नुक़सान से बचने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है। यदि ऐसा नहीं है तो एफ़डीआई में छूट, 75 मेडिकल कॉलेज खोलने जैसी घोषणाएँ क्यों?
मंदी के कारणों को समझने और कार्रवाई करने के बजाय कुतर्कों से जीतने की कोशिश की गई और अब वही कार्रवाई की जा रही है जो चुनाव से पहले कर दी जानी चाहिए थी।
किया सेल्टोस की बुकिंग सोमवार को शुरू हुई और एक ही दिन में कंपनी को 6000 कारों के लिए बुकिंग मिल गई। तो क्या सिर्फ़ कारों की बुकिंग मंदी से उबरने का संकेत हो सकती है?
इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना पैन यानी सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या दो-दो पैन कार्ड बन जाने की गड़बड़ियाँ नहीं होंगी? और फिर पैन की ज़रूरत ही क्यों रहेगी?