एक बार फिर सावरकर को भारत रत्न देने की बात उठी है और वह भी चुनावी मौसम में। इस बार यह बात भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में छापकर चर्चा में लायी गयी है।
सुभाष के सामने सावरकर को खड़ा करने की कोशिश की जा रही है, जिसने अंग्रेज़ों को भगाने के लिए क़ुर्बानियाँ दीं, उनके सामने उस शख़्स को खड़ाने करने का प्रयास हो रहा है जिसने अंग्रेजों की मदद की।