दुनिया के जिस कोवैक्स कार्यक्रम के तहत 92 देशों को कोरोना वैक्सीन भेजी जा रही थी उस कोवैक्स कार्यक्रम को वैक्सीन मिल ही नहीं पा रही है। सीरम इंस्टीट्यूट से आख़िर वैक्सीन क्यों नहीं मिल पा रही है?
सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की क़ीमतों की घोषणा की है। इसने कहा है कि कोविशील्ड के प्रति डोज के लिए राज्यों को 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 600 रुपये चुकाने होंगे।
भारत में कोरोना की एक और वैक्सीन कोवोवैक्स का ट्रायल शुरू हो चुका है। इसका ट्रायल भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सहयोग से किया जा रहा है। अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने इसको विकसित किया है।
जिस गति से कोरोना की वैक्सीन बनाने की क्षमता सीरम इंस्टीट्यूट के पास है, कंपनी शायद उस गति से वैक्सीन नहीं बना पाए। अमेरिका के एक फ़ैसले को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट के मुखिया अदार पूनावाला के एक बयान से ही यह लगता है।
सरकार से कोरोना वैक्सीन का क़रार होने के कुछ घंटे बाद ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने कोविशील्ड की पहली खेप रवाना कर दी है। मंगलवार सुबह क़रीब पाँच बजे वैक्सीन से भरे तीन ट्रक पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के परिसर से निकले।
सरकार ने सोमवार कोरोना वैक्सीन के लिए पहला ऑर्डर दे दिया है। सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया से 1.10 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है। यानी इससे 55 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकती है।
भारत में दो कंपनियों की वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिली और फिर दोनों कंपनियाँ आपस में उलझ गईं। दोनों तरफ़ से आरोप-प्रत्यारोप लगे। इसका नुक़सान क्या हो सकता था, यह भी उन कंपनियों के अब ताज़ा बयान से लगाया जा सकता है।
कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में दुष्परिणाम के बाद जिस सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया पर केस किया गया था उस कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने सरकार से अब क़ानूनी मामलों से बचाव का आग्रह किया है।
एक वॉलिंटियर ने दावा किया है कि ट्रायल में वैक्सीन के इंजेक्शन के बाद उसे गंभीर मानसिक बीमारी हो गई और इसलिए उसने 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की माँग की है। इस पर सीरम इंस्टिट्यूट उस वॉलिंटियर पर 100 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा करेगा।