अब क़रीब-क़रीब तय है कि महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनेगी। सोनिया गाँधी से हरी झंडी मिलने की ख़बर है। लेकिन इससे पहले शरद पवार, शिवसेना और कांग्रेस को लेकर अलग-अलग अफ़वाहें क्यों फैलाई गईं? इसका क्या था मक़सद? सवाल यह भी है कि अब कौन बनेंगे मुख्यमंत्री? देखिए आशुतोष की बात।
चुनाव नतीजे आने के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहे महाराष्ट्र में अब लगता है कि सरकार गठन का रास्ता साफ़ हो गया है। सूत्रों के मुताबिक़, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने पर हरी झंडी दे दी है।
गाँधी परिवार से स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी सुरक्षा को हटाने पर बवाल हो गया है। कांग्रेस की तरफ़ से ज़ोरदार प्रतिक्रिया आई है। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।
सरकार ने गाँधी परिवार को मिली सबसे उच्च दर्जे की स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी सुरक्षा को हटाने का निर्णय लिया है। उन्हें अब जेड प्लस सुरक्षा ही मिलेगी।
भारत ने आरसीईपी पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया। तो प्रधानमंत्री मोदी बैंकॉक से खाली हाथ क्यों लौटे? राजनीतिक हलकों में क्यों यह चर्चा है कि मोदी ने इसलिए आख़िरी क्षण में हाथ खींचे क्योंकि कांग्रेस और सोनिया गाँधी ज़ोर शोर से विरोध कर रही थीं? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस नेतृत्व ने फ़िलहाल 'देखो और इंतज़ार करो' की नीति पर चलने का फ़ैसला किया है।
सोनिया गाँधी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारकों की तरह प्रेरक तैयार करने के लिए कहा है। तो क्या सोनिया संघ के 'हथियार' को ही अपनाकर मोदी को मात देना चाहती हैं? क्या संघ के तौर-तरीक़े अपनाकर कांग्रेस आगे बढ़ पाएगी? देखिए आशुतोष की बात में पूरा विश्लेषण।
लगातार दो लोकसभा और कई राज्यों में चुनाव हारने के बाद पस्त पड़ी कांग्रेस पार्टी को रास्ता दिखाने और पार्टी में जान फूंकने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी आगे आई हैं।
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने रायबरेली सीट से पर्चा दाख़िल कर दिया है। बीजेपी उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी से पर्चा दाख़िल कर दिया है।