टीएमसी त्रिपुरा में अपने पैर जमाना चाहती है जबकि बीजेपी उसे रोकने में जुटी है। इस बीच स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे बताएंगे कि टीएमसी की स्थिति यहां कैसी है।
त्रिपुरा में 'राजनीतिक हिंसा' से क्या बीजेपी में मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं? बीजेपी विधायकों ने क्यों कहा कि पैराट्रूपर नेता अपनी लोकप्रियता के लिए माकपा से बीजेपी में आए गुंडों का इस्तेमाल चुनाव में कर रहे हैं?
ममता बनर्जी की कोशिश बंगाल के बाहर भी टीएमसी की सरकार बनाने की है और इसके लिए उनकी नज़र त्रिपुरा पर है। लेकिन बीजेपी टीएमसी को यहां पैर पसारने नहीं देना चाहती।
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा की आंच महाराष्ट्र तक पहुंच गई है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर बहस हो रही है। इससे जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करने जा रहा है।
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट्स करने पर एफ़आईआर दर्ज कर यूएपीए लगा दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा।
बिप्लब देब ने फिर विवादित बयान दिया है। इस बार अदालतों को लेकर। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में वह त्रिपुरा सिविल सेवा के अधिकारियों के सामने जो कह रहे हैं उसपर विपक्षी दलों के नेता क्यों आपत्ति कर रहे हैं?
त्रिपुरा में बीजेपी और सीपीएम समर्थकों के बीच संघर्ष के बाद ताज़ा हिंसा की ख़बरें हैं। पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़, आगजनी हुई। वाहन जला दिए गए। हिंसा में कई घायल हुए हैं। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है।
पीयूष कांति विश्वास ने कहा है कि वे राजनीति से भी रिटायर हो रहे हैं। लेकिन उनके टीएमसी में जाने की अटकलें लग रही हैं। बीते सोमवार को असम से आने वालीं सुष्मिता देव ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था।