मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ चली लंबी बातचीत के बाद डॉक्टरों के प्रतिनिधियों ने संतोष जताया और हड़ताल ख़त्म कर दी। सरकार ने उनकी ज़्यादातर माँगें मान ली हैं।
पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल और उसके बाद ममता बनर्जी के रवैए से सवाल उठा है कि क्या वह तेज़ी से अपना जनाधार खो रही हैं और उसकी बौखलाहट छुपा नहीं पा रही हैं?
पश्चिम बंगाल में चल रहे डॉक्टरों के आंदोलन हड़ताल ने सियासी रूप ले लिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाथ से आंदोलन निकलता जा रहा है और वह अलग-थलग पड़ती जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विद्यासागर की प्रतिमा स्थापित कर भारतीय जनता पार्टी को उसके ही जाल में उलझाने की रणनीति अपना ली है। पर वह कितना कामयाब होंगी?
क्या पश्चिम बंगाल सरकार अब जानबूझ कर केंद्र सरकार से टकराव के रास्ते पर चलेगी ताकि ममता बनर्जी इसका सियासी फ़ायदा उठा सकें और बीजेपी को राज्य में रोक सकें?
चुनाव विशेषज्ञ और 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी से जुड़ गए हैं। क्या उनकी मदद से मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल का क़िला बचा पाएँगी?
पश्चिम बंगाल में प्रतीकों की राजनीति तेज़ हो गई है। ‘जय श्री राम’ की वजह से बाहरी लोगों की पार्टी कहे जाने पर पश्चिम बंगाल बीजेपी अब ‘जय माँ काली’ का नारा ले कर आई है।
बंगाल में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को भी कोई तोड़ सकता है, यह कल तक अकल्पनीय था लेकिन कल बीजेपी के समर्थकों ने यह करके दिखा दिया कि बंगाल अब वाक़ई बदल रहा है।
पश्चिम बंगाल में इस बार संसदीय चुनाव का अब तक का सबसे जबरदस्त मुक़ाबला चल रहा है। टीएमसी और बीजेपी के बीच नोकझोंक से लगता है कि लड़ाई प्रधानमंत्री मोदी और ममता बनर्जी के बीच हो।