loader

क्या आरएसएस-नरेंद्र मोदी के बीच बढ़ रही है खाई?

क्या आज यह सवाल उठाना लाज़िमी है कि प्रधानमंत्री मोदी और संघ परिवार के बीच सब कुछ ठीक है? क्या दोनों के बीच में किसी तरह का मतभेद है? क्या राम मंदिर के मुद्दे पर दोनों के बीच कोई खाई गहराती जा रही है? या फिर तीन राज्यों की हार ने रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर होना पडा ? यह सवाल अहम है क्योंकि आज प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए  सरकार कोई अध्यादेश लेकर नही आएगी। उनका कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और क़ानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार इस मसले पर विचार करेगी। इसका मतलब साफ़ है कि राम मंदिर पर फ़िलहाल सरकार अपनी तरफ़ से कोई पहल नहीं करेगी। तीन हिंदी भाषी राज्यों के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले संघ परिवार की तरफ़ से राममंदिर निर्माण को लेकर काफी हंगामा मचाया गया था। 

Modi-RSS differences on Ram Mandir increasing? - Satya Hindi
खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजय दशमी के मौक़े पर कहा था कि राम मंदिर पर हिंदू समाज के सब्र का बाँध टूट रहा है। वह अनन्त काल तक इंतज़ार नहीं कर सकता। और सरकार को क़ानून बना कर राम मंदिर बना कर रास्ता साफ करना चाहिए।
फिर यही बात राम लीला मैदान मे एक सभा में आरएसएस के नंबर दो नेता भैया जी जोशी ने दोहराई थी। इस मसले पर विश्व हिंदू परिषद के नेता आलोक कुमार ने तो सु्प्रीम कोर्ट को ही कठघरे मे खड़ा कर दिया था। 

हार से बदली रणनीति?

संघ से जुड़े राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने यह बयान भी दिया था कि वो संसद में प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएंगे । इस संदर्भ में यह आकलन लगाया गया था सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है और संघ परिवार 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र राम मंदिर को मुद्दा बना कर राजनीतिक ध्रुवीकरण करेगी । तब ये अटकलें भी लगी थी कि विधानसभा चुनावों में इसका फ़ायदा होगा। लेकिन विधानसभा में राजस्थान, एम पी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी हारी और तीनों राज्य कांग्रेस जीत ले गई । यह एक बडा झटका था।

संघ का दबाव बेअसर?

संघ में सिर्फ बयानबाज़ियां नहीं की थीं। नवंबर के महीने में धर्म संसद बुलायी गई और यह ऐलान किया गया कि पाँच सौ से ज़्यादा ज़िलों के गाँव-गाँव और गली-गली में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रदर्शन किए गए । 6 दिसंबर को अयोध्या में सांकेतिक कार सेवा भी की गई । 

ऐसे में सवाल यह है कि क्या मोदी पर संघ का दबाव नहीं काम कर रहा है? या मोदी संघ की बात नहीं मान रहे हैं? यह बात जग ज़ाहिर है कि संघ प्रमुख लंबी सोच और विमर्श के बाद ही कोई बात कहते हैं। वे आपा धापी और जल्दबाज़ी में बयान नहीं देते। राम मंदिर का मुद्दा संघ के लिए बहुत अहम हैं।
यह वो मुद्दा है जिसकी सवारी कर बीजेपी केँद्र की सत्ता में आई है। ज़ाहिर है, यह तैश में लिया गया क़दम नहीं था। जल्दबाज़ी में नहीं दिया गया बयान था। अगर आज सरकार इस बात को सिरे से नकार देती है तो अर्थ साफ़ है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। 

राम मंदिर से पीछे?

प्रधानमंत्री के बयान के बाद भैया जी जोशी को कहना पड़ा कि उन्होंने जनता के मन की बात सरकार तक पंहुचा दी। अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह उस पर अमल करती है या नहीं।

Modi-RSS differences on Ram Mandir increasing? - Satya Hindi
भैया जी जोशी की आवाज़ में वह आक्रामकता ग़ायब थी जो रामलीला मैदान मे थी। तो क्या यह मान लिया जाए कि संघ ने सरकार के सामने 'सरेंडर' कर दिया? या फिर यह मान लिया जाए कि बीजेपी को यह एहसास हो गया है कि राम मंदिर का मुद्दा अब दुबारा जनता की निगाह मे नहीं चढ़ने वाला। तीन राज्यों में राम मंदिर मुद्दे के बावजूद हार ने क्या मोदी समेत संघ परिवार ने पुनर्विचार के लिये मजबूर तो नहीं कर दिया। लेकिन मोदी की बात से अब यह साफ़ हो गया है कि फ़िलहाल राम मंदिर फिर से ठंडे बस्ते में चला गया है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

विश्लेषण से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें