loader
Hफ़ोटो साभार - फ़ेसबुक

क्या बिहार में नीतीश से पल्ला झाड़ लेगी बीजेपी?

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनने देगी या नहीं। यह सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है बिहार के नवनियुक्त बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के बयान के बाद। पिछले काफ़ी समय से बिहार में बीजेपी-जेडीयू के नेताओं के बीच बयानबाज़ियाँ हो रही हैं। कुल मिलाकर चेहरा कौन होगा, इसे लेकर राज्य की सियासत में घमासान जारी है। 

संजय जायसवाल ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ से बातचीत में कहा है कि बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में फ़ैसला बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व और संसदीय बोर्ड करेगा। जायसवाल का यह बयान नीतीश कुमार के लिए आफत का इशारा है। बिहार में बीजेपी और जेडीयू मिलकर सरकार चला रहे हैं और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में बिना जेडीयू की सहमति के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अगर यह बयान दे रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि बीजेपी राज्य में अकेले चलने को लेकर मन बना रही है। 

बिहार की राजनीति में इन दिनों बीजेपी और जेडीयू के नेताओं की एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी के बाद से ही सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बीजेपी नीतीश कुमार से आगामी विधानसभा चुनाव में पल्ला झाड़ लेगी? लेकिन ख़ुद बीजेपी के अंदर इसे लेकर रार मची हुई है।

संजय पासवान, गिरिराज सिंह, सीपी ठाकुर और अन्य क्षेत्रीय नेता नीतीश के ख़िलाफ़ हैं और उन्हें यह लगता है कि बीजेपी अब अकेले बहुमत पाने की स्थिति में आ चुकी है। लेकिन बिहार में बीजेपी के बड़े नेता और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी नीतीश के पक्ष में खड़े दिखते हैं और उन्होंने कहा है कि जीतने वाले कप्तान को बदलने की क्या ज़रूरत है। 

ताज़ा ख़बरें

सुशील मोदी ने हाल ही में ट्वीट कर कहा था कि नीतीश कुमार ही बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कप्तान हैं और उनके नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। नीतीश के नेतृत्व पर उठाए जा रहे सवाल को भी सुशील मोदी ने सिरे से खारिज कर दिया था। 

नीतीश की चुनावी तैयारी 

हाल ही में जेडीयू ने राज्य भर में होर्डिंग लगाये थे जिनमें लिखा था 'क्यूं करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार।' सोशल मीडिया पर इस होर्डिंग के फ़ोटो ख़ूब वायरल हुए थे। होर्डिंग में नीतीश कुमार गाल पर हाथ रखे हुए मुस्कुरा रहे हैं। तब यह कहा गया था कि नीतीश भी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 

bihar assembly election 2020 nitish kumar  - Satya Hindi
कुछ समय पहले जेडीयू के प्रवक्ता पवन वर्मा ने आग में घी डालने वाला बयान दे दिया था। वर्मा ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा था कि बीजेपी में अगर हिम्मत है तो वह एक बार अकेले चुनाव लड़कर देख ले, उसे चुनाव नतीजों से सब कुछ समझ आ जाएगा। वर्मा ने कहा था कि जेडीयू भी अपनी तैयारी कर लेगी। 
इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी आज बिहार की सबसे ज़्यादा ताक़तवर पार्टी है। लेकिन सवाल यह है क्या वह अकेले चुनाव लड़ने और सरकार बना पाने की स्थिति में है? इसे लेकर संघ-बीजेपी में मंथन चल रहा है।

मोदी का किया था विरोध 

2014 के लोकसभा चुनाव के समय नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का खुलकर विरोध किया था और एनडीए से नाता तोड़ लिया था। सियासी जानकारों के मुताबिक़, मोदी और अमित शाह नीतीश के इस विरोध को आज तक नहीं भूले हैं। नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद कहा था कि बीजेपी और संघ को देश को बाँटने वाली विचारधारा बताया था। 

बिहार से और ख़बरें
याद दिला दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में उचित स्थान न मिलने की बात कहकर नीतीश कुमार ने जेडीयू के मोदी सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था। जेडीयू की उपेक्षा से नाराज नीतीश कुमार ने जब कुछ दिन बाद बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार किया था तो उसमें बीजेपी को जगह नहीं दी थी। उसके बाद यह माना गया था कि ऐसा करके नीतीश कुमार ने बीजेपी और विशेषकर मोदी-शाह से बदला लिया है।
बीजेपी-संघ से जेडीयू के रिश्ते तब और ज़्यादा ख़राब हुए थे जब बिहार सरकार की ओर से आरएसएस और इससे जुड़े 18 और संगठनों के नेताओं की जाँच कराने को लेकर एक पत्र जारी किया गया था।

विचारधारा में है अंतर 

बीजेपी और जेडीयू की विचारधारा पूरी तरह अलग है। धारा 370, तीन तलाक़ क़ानून को लेकर जेडीयू का स्टैंड बीजेपी से पूरी तरह अलग है। इसे लेकर दोनों दलों में कई बार मतभेद भी सामने आ चुके हैं और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस के मुद्दे पर जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था।
संबंधित ख़बरें

बिहार के सियासी गलियारों में चर्चाएँ हैं कि नीतीश कुमार केंद्र में फिर से बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद संघ और बीजेपी की बढ़ती ताक़त को लेकर डरे हुए हैं क्योंकि इससे उन्हें सियासी ध्रुवीकरण के नाम पर हिंदू वोटों के बीजेपी के पाले में जाने का ख़तरा है। 

बिहार में विधानसभा चुनाव में सवा साल का वक़्त बचा है लेकिन जिस तरह की जोर-आजमाइश बीजेपी और जेडीयू में चल रही है, उसे देखकर यही लगता है कि दोनों दलों का साथ मिलकर चुनाव लड़ना मुश्किल है। बीजेपी और जेडीयू पहले भी दो बार साथ मिलकर बिहार में सरकार चला चुके हैं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें