मुज़फ़्फ़रपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य के विरुद्ध चर्चित मुज़फ़्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई को जाँच का आदेश दिया है। उक्त आदेश मुज़फ़्फ़रपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा द्वारा कोर्ट के समक्ष दिए गए प्रतिवेदन की सुनवाई के दौरान दिया। ओझा ने यह आरोप लगाया था कि बिहार के मुख्यमंत्री, राजनेता एवं नौकरशाहों से इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के घनिष्ठ संबंध थे। यह भी आरोप था कि इनके इशारे पर कई लोगों को बचाया जा रहा है।
कोर्ट ने शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान सभी आरोपी व्यक्तियों की भूमिका की जाँच करने का आदेश सीबीआई के एसपी को दिया है। प्रतिवेदन में सीबीआई द्वारा तथ्यों को छुपाने का भी आरोप लगाया गया है। सीबीआई के तत्कालीन एसपी जेपी मिश्रा का ट्रांसफ़र पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया गया है।
- ज्ञात हो कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेस, मुम्बई ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बालिका गृह की संवासनियों को प्रताड़ित करने एवं उनके यौन शोषण की शिकायत का जिक़्र किया था। बाद में राज्य सरकार ने रिपोर्ट के आधार पर समाज कल्याण विभाग को कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला कल्याण पदाधिकारी द्वारा इस मामले में महिला थाने में 31 मई 2018 को एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 2 जून को कांड के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 8 लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया था।
पीड़िताओं पर हुआ अत्याचार
पुलिस ने पीड़िताओं का बयान न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष CRPC की धारा 164 के तहत दर्ज करवाया, जिसमें अधिकतर पीड़िताओं ने अपने ऊपर हुए अत्याचार को बयां किया और यह रोंगटे खड़े कर देने वाला था। बाद में इस मामले में नीतीश कुमार कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था, क्योंकि उनके पति एवं पूर्व एमएलसी चंद्रशेखर प्रसाद वर्मा पर इस मामले में संलिप्ता का आरोप लगने लगा था। दोनों पति-पत्नी अभी एक आर्म्स एक्ट केस में बेगूसराय जेल में बंद हैं। उनके विरुद्ध आर्म्स एक्ट का केस सीबीआई के एक डीएसपी के बयान पर दर्ज किया गया था। सीबीआई द्वारा उनके बेगूसराय जिले के सिमरी बख्तियारपुर थाना अंतर्गत मकान के सर्च के दौरान अवैध गोलियाँ मिली थीं।
एसपी का क्यों किया तबादला?
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बालिका गृह कांड की जाँच शुरू की। हालाँकि राज्य सरकार ने आनन-फानन में मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले की तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर का तबादला मुज़फ़्फ़रपुर से समस्तीपुर कर दिया। तबादले को लेकर राज्य सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई थी क्योंकि हरप्रीत कौर एक ईमानदार पुलिस पदाधिकारी के तौर पर जानी जाती हैं और उन्होंने बिना किसी दबाव में बालिका गृह कांड की जाँच की थी और अभियुक्त के ख़िलाफ़ चार्जशीट भी दायर की।
इस्तीफ़े की हो सकती है माँग
अब जब स्पेशल पॉस्को कोर्ट ने नीतीश कुमार, मुज़फ़्फ़रपुर के तत्कालीन ज़िले के पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार, तिरहुत प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त अतुल प्रसाद एवं अन्य नौकरशाह की भूमिका की जाँच का आदेश सीबीआई को दिया है तो नीतीश कुमार पर पद छोड़ने का दबाव बनाया जाना स्वाभाविक है। राजनीतिक गलियारों में उनके ऊपर इस्तीफ़ा सौंपने का दबाव बनाए जाने की चर्चा है।
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