क्या बिहार के मुजफ्फ़रपुर स्थित नारी निकेतन में 35 बच्चियों के बलात्कार और हत्या के आरोप ग़लत थे? या उन्हें बचाने की कोशिश के तहत यह दावा किया जा रहा है। केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जिन बच्चियों के मारे जाने की बात कही गई थी, वे सब जीवित हैं।
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रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मुज़फ्फ़रपुर शेल्टर होम की बच्चियों की हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है।’
मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अगुआई वाले खंडपीठ ने सीबीआई की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और जाँच टीम के दो अफ़सरों को कार्यमुक्त कर दिया।
जाँच एजेन्सी की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि 35 बच्चियों के साथ बलात्कार और उनकी हत्या के आरोप लगाए गए थे। इसकी जाँच पूरी कर ली गई है और रिपोर्ट सौंप दी गई है।
उन्होंने कहा कि बिहार के 17 नारी निकेतनों की जाँच की गई है, 13 के मामले में रिपोर्ट सौंप दी गई है। चार मामलों में प्राथमिक जाँच के बाद उसे रोक दिया गया क्योंकि कोई सबूत नहीं मिला।
विशेष अपराध शाखा ने कोलकाता से 3 जनवरी को बिहार के डीआईजी अभय सिंह को गिरफ़्तार किया। उन्हें आर्थिक अपराध शाखा के सामने पेश किया गया। वह इन मामलों की जाँच कर रहे थे।
यौन शोषण के आरोप का ख़ुलासा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेस, मुम्बई की ऑडिट रिपोर्ट में किया गया था। 31 मई को मुज़फ़्फ़रपुर के महिला थाने में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 2 जून को कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत आठ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मामले में तब नया मोड़ आया था, जब तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के इसमें शामिल होने की बात सामने आई। विवाद इतना बढ़ा था कि मंजू वर्मा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
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