सिद्धारमैया
कांग्रेस - वरुण
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बिहार चुनाव में धारा 370, राम मंदिर का जिक्र किया तो तभी साफ हो गया था कि बिहार में बीजेपी के पास लोगों से वोट मांगने के लिए ऐसे ही मुद्दे बचे हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी 28 अक्टूबर की दरभंगा रैली में जब ये कहा, ‘सदियों की तपस्या के बाद आखिरकार अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। वो सियासी लोग जो हमसे तारीख़ पूछते थे, बहुत मजबूरी में अब वे भी तालियां बजा रहे हैं’, ऐसा कहकर उन्होंने शायद पार्टी के बाक़ी नेताओं के लिए भी इस चुनाव में राम मंदिर का जिक्र करने के लिए रास्ता खोल दिया।
इससे पहले प्रधानमंत्री के कांग्रेस पर ये आरोप लगाने कि वह कश्मीर में धारा 370 की बहाली चाहती है, लोगों ने पूछा था कि बिहार के चुनाव में यहां के स्थानीय मुद्दों पर बात क्यों नहीं हो रही है। उसके बाद भी वह लालू-राबड़ी के शासनकाल पर ज़्यादा बोले बनिस्पत इसके कि डबल इंजन की सरकार के कामकाज को गिनाएं।
देश में एक समुदाय विशेष के लोगों और मोदी सरकार की मुखर होकर आलोचना करने वालों को पाकिस्तान चले जाने के लिए कहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राम मंदिर को आधार बनाकर विवादित बयान दिया है।
गिरिराज सिंह ने जिस तरह की वे बातें करते रहे हैं, उसी राह पर चलते हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एक मंच से जो कहा, उसे पढ़िए। गिरिराज बोले, ‘क्या आप चाहते हैं कि देश में धारा 370 धारा फिर से आए। अगर नहीं चाहते हैं तो नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करें। क्या आप चाहते हैं कि राम मंदिर को फिर से ये लोग तहस-नहस करें, ये चाहते हैं क्या।’ गिरिराज दुबारा लोगों से पूछते हैं कि वे लोग ऐसा चाहते हैं क्या।
‘बिहार में आरजेडी की सरकार बनने पर यहां कश्मीर के आतंकवादी पनाह ले लेंगे’, ये बयान देने वाले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के बयान का जब चुनाव आयोग ने कोई संज्ञान नहीं लिया तो गिरिराज सिंह के बयान का वह संज्ञान लेगा, कहना मुश्किल है। लेकिन याद करें कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के साथ क्या हुआ था।
लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लगातार ‘क्लीन चिट’ मिलने को लेकर जब लवासा ने सवाल उठाया तो उनके परिवार के लोगों को आईटी विभाग ने नोटिस थमा दिया। इसके बाद लवासा की पत्नी, बहन और बेटे आयकर विभाग के रडार पर आ गए। ऐसे में कोई चुनाव आयुक्त क्यों ऐसे बयानों का संज्ञान लेकर ख़ुद को मुसीबत में डालना चाहेगा।
फ़ैसला बिहार की अवाम को करना है। आरजेडी के नौजवान नेता तेजस्वी यादव अपनी सभी रैलियों में रोज़गार की बात कर रहे हैं। वह दस लाख सरकारी नौकरियां देने की बात करते हैं, दूसरी ओर, एनडीए से भी यही उम्मीद की जाती है कि वह अपनी डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताए।
गिरिराज सिंह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के बाद दूसरे कार्यकाल में भी मंत्री बनाए गए। अपने मंत्रालयों में उन्होंने कितना बेहतर काम किया, यह तो पता नहीं लेकिन अपने विवादित बयानों के लिए वह काफी चर्चा बटोरते रहे।
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे आंदोलन को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा था, ‘यह शाहीन बाग़ अब सिर्फ आंदोलन नही रह गया है...यहां सूइसाइड बॉम्बर का जत्था बनाया जा रहा है। देश की राजधानी में देश के ख़िलाफ़ साज़िश हो रही है।’
इस साल फरवरी में बिहार के पूर्णिया में पत्रकारों के साथ बातचीत में गिरिराज सिंह ने कहा था, ‘राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का समय आ गया है। 1947 से पहले हमारे पूर्वज देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे और जिन्ना भारत को इसलामिक स्टेट बनाने की योजना बना रहा था। यह बहुत बड़ी भूल हमारे पूर्वजों से हुई जिसका खामियाजा हम यहां भुगत रहे हैं।’
गिरिराज सिंह ने आगे कहा था, ‘अगर उस समय मुसलमान भाइयों को वहां भेज दिया गया होता तो आज यह नौबत ही नहीं आती।’
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