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एजेंडा चला रहे थे गुप्तेश्वर पांडेय: शिव सेना; इस्तीफ़ा तुरंत स्वीकार होने पर सवाल

सोशल मीडिया से लेकर अख़बारों और कुछ टीवी चैनलों पर इन दिनों बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के नाम की धूम है। क्योंकि पांडेय जी के बारे में जिस तरह की चर्चाएं थी, उन्होंने उन्हें सच कर दिखाया है। पांडेय के बारे में चर्चा थी कि वे बिहार के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा सकते हैं और अब उन्होंने साफ कर दिया है कि वह चुनाव लड़ेंगे। 

गुप्तेश्वर पांडेय ने दो दिन पहले ही पुलिस की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया था और 24 घंटे के भीतर ही इसे स्वीकार भी कर लिया गया। इतनी जल्दी उनका इस्तीफ़ा कैसे स्वीकार हो गया, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। 

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पूर्व डीजीपी पांडेय ‘रिया चक्रवर्ती की औकात नहीं है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री पर टिप्पणी कर सके’ इस कमेंट के बाद चर्चा में आए थे। सुशांत मामले में जिस तरह उन्होंने नीतीश सरकार का पक्ष रखा था और मुंबई पुलिस पर निशाना साधा था, तभी यह साफ हो गया था कि पांडेय की चुनावी राजनीति में एंट्री होने जा रही है। 

23 सितंबर की शाम को फ़ेसबुक पर लाइव आए पांडेय ने कहा, ‘अगर मुझे मौका मिला और इस योग्य समझा गया कि मुझे राजनीति में आना चाहिए तो मैं आ सकता हूं।’

पांडेय के राजनीति में आने को लेकर शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि जो दल पांडेय को उम्मीदवार बनाएगा, जनता उस पर भरोसा नहीं करेगी। राउत ने कहा, ‘जिस तरह से 3-4 महीने से डीजीपी का महाराष्ट्र के बारे में राजनीतिक तांडव चल रहा था, उसके पीछे उनका क्या एजेंडा था, अब यह साफ हो गया है।’ 

संजय राउत ने कहा, ‘पांडेय ने जिस तरह की बयानबाज़ी मुंबई के केस के बारे में की, मुझे लगता है वो पॉलिटिकल एजेंडा चला रहे थे, इसका उन्हें इनाम मिलने जा रहा है।’ राउत ने कहा कि मोहरे के रूप में उनका इस्तेमाल हो रहा था। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने यह भी कहा कि यह सिविल सर्विस की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है। 

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राजनीतिक समझौता?

सरकारी नियमों के मुताबिक़, आईएएस, आईपीएस अफ़सरों के वीआरएस के लिए आए आवेदन को स्वीकार करने में एक या दो महीने का वक्त लगता है। 30 साल की नौकरी पूरी करने के बाद कोई भी सरकारी अफ़सर रिटायर होने के लिए आवेदन कर सकता है लेकिन इसके लिए उसे कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना चाहिए। जानकारों का कहना है कि 24 घंटे में वीआरएस का आवेदन स्वीकार होने का मतलब है कि इसमें किसी तरह का कोई राजनीतिक समझौता है। 

पिछले साल वीआरएस लेने वाले पूर्व आईपीएस अफ़सर अब्दुर रहमान ने ‘द प्रिंट’ से कहा, ‘हालांकि सरकार ने 24 घंटे में उनके नोटिस को स्वीकार कर लिया तो इसमें सरकार की कोई ग़लती नहीं है और तकनीकी रूप से ऐसा किया जा सकता है। लेकिन अगर कोई राजनीतिक समझौता न हो तो इसमें सामान्य रूप से 90 दिन का वक़्त लगता है।’ 

जेडीयू की सफाई

पांडेय का इस्तीफ़ा जल्दी स्वीकार होने की चर्चाओं पर जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने एक न्यूज़ चैनल के साथ बातचीत में कहा कि पांडेय का इस्तीफ़ा एक महीने पहले ही राज्य के गृह सचिवालय में आ गया था और इसे मीडिया में रिलीज नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि तीन-चार दिनों में आचार संहिता लग जाएगी तो फिर उनके इस्तीफ़े को चुनाव आयोग को भेजना पड़ता। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार का विशेषाधिकार है। 

पांडेय ने कुछ दिन पहले पत्रकारों के साथ बातचीत में चुनाव लड़ने का साफ संकेत दिया था। उन्होंने कहा था, ‘मुझसे चुनाव लड़ने को लेकर सवाल पूछा जाता है तो मैं कहता हूं कि क्या चुनाव लड़ना पाप है, आप भी लड़ लीजिए।’

किसी भी शख़्स के चुनावी राजनीति में आने की जोरदार हिमायत करते हुए पांडेय ने कहा था, ‘अगर कोई इस्तीफ़ा देकर या सेवानिवृत्त होकर राजनीति में आना चाहता हो, तो क्या यह अनैतिक है, असंवैधानिक है या ग़ैर क़ानूनी है, यह तो कोई पाप नहीं है।’ 

‘गुप्तेश्वर पांडेय को न्याय मिला’ 

रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने इस मामले में कहा, ‘सुशांत सिंह राजपूत को न्याय नहीं मिला है बल्कि गुप्तेश्वर पांडेय को न्याय मिला है। डीजीपी बिहार के वीआरएस के अनुरोध को बिहार सरकार ने 24 घंटे में ही स्वीकार कर लिया, यह उसी तरह है जिस तरह बिहार सरकार ने रिया चक्रवर्ती के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को सीबीआई को दिया था और केंद्र सरकार ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया था।’ 

पूर्व डीजीपी पांडेय का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्हें दमदार अफ़सर और बिहार का रॉबिनहुड बताया गया है। इस पर इंडियन पुलिस फ़ाउंडेशन की ओर से टिप्पणी की गई है। फ़ाउंडेशन ने कहा है कि किसी राज्य के डीजीपी का इस तरह का वीडियो उनके पद और वर्दी को नीचा दिखाता है। 

बक्सर से लड़ सकते हैं चुनाव

बिहार में नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और ये माना जा रहा है कि पूर्व डीजीपी पांडेय किस दल में शामिल होंगे, इसका एलान भी जल्द ही हो सकता है। पांडेय के जेडीयू के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की चर्चाएं जोरों पर हैं और कहा जा रहा है कि वह बक्सर जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। 

पांडेय ने 2009 में भी लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए समय से पहले स्वैच्छिक रिटायरमेंट के लिए आवेदन किया था लेकिन तब राज्य सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था।

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क़मर वहीद नक़वी

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