कम जाँच करने के लिए बदनाम बिहार में अब मंगलवार से बाहर से पहुँचने वाले लोगों को क्वरेन्टाइन नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं, थर्मल स्कैनिंग तक नहीं की जाएगी।
यह फ़ैसला बिहार सरकार का है। इसके अनुसार, बाहर से आए लोगों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा, न ही उन्हें क्वरेन्टाइन केंद्रों में रखा जाएगा। मौजूदा क्वरेन्टाइन केंद्रों को 15 जून को बंद कर दिया जाएगा क्योंकि उस समय तक 1 जून तक भेजे गए लोगों का 14 दिन का क्वरेन्टाइन पूरा हो चुका होगा। इस समय बिहार में 5,000 क्वरेन्टाइन केंद्र चल रहे हैं, जिनमें बाहर से आए अब तक 13 लाख लोगों को रखा गया है।
मेडिकल डेस्क
इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्कैनिंग भी बंद करने का फ़ैसला लिया गया है। लेकिन सभी रेलवे स्टेशनों पर अलग मेडिकल डेस्क होगा, जहाँ स्वास्थ्य कर्मी मौजूद होंगे और बीमार पड़े मुसाफ़िरों का इलाज करेंगे। राज्य सरकार का फ़ैसला चौंकाने वाला तो है ही, ऐसे समय आया है जब दूसरे राज्यों से आने वाले कई प्रवासी मज़दूर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। दूसरी ओर राज्य में कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या पहले से यकायक बढ़ी है।
बढ़ रहा है संक्रमण
इसे ऐसे समझा सकता है कि बिहार में जो 3,872 कोरोना मामले पाए गए हैं, उनमें से 2,743 प्रवासी मज़दूर हैं। बाहर से आए लोगों में महाराष्ट्र से आने वाले लोगों की तादाद 677, दिल्ली से 628, गुजरात से 405 और हरियाणा से 237 लोग हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना से आए प्रवासी मज़दूरों में भी कोरोना का संक्रमण पाया गया है। बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकार के प्रमुख सचिव प्रत्यय अमृत ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हम 30 लाख लोगों को दूसरे राज्यों से ले आए हैं, यह अब तक का सबसे बड़ा बचाव कार्य है। हम रजिस्ट्रेशन सोमवार के बाद बंद कर देंगे, अधिकतम लोग आ चुके हैं।’
प्रत्यय अमृत ने यह यह भी कहा कि घर-घर जाकर निगरानी करने का काम जारी रहेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लोग यह काम करते रहेंगे।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पत्रकारों से कहा,
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‘विदेशी विशेषज्ञों ने कहा है कि घर पर क्वरेन्टाइन करना सबसे अच्छा है। इसके बावजूद हमने क्वरेन्टाइन केंद्र चलाए और प्रवासी मज़दूरों को हर मुमकिन सहायता दी। हमने बस-ट्रेन के किराया का भुगतान भी किया है और किट भी दिया है, जिसकी कीमत 1,000 रुपए है।’
सुशील मोदी, उप मुख्यमंत्री, बिहार
विरोध
विपक्षी दलों ने इसका ज़ोरदार विरोध किया है। कांग्रेस महासचिव चंदन यादव ने कहा, ‘ऐसे समय जब संक्रमण बढ़ता जा रहा है, प्रवासी मज़दूर ख़तरनाक इलाक़ों से लौट रहे हैं, ऐसे में इस तरह के क्वरेन्टाइन केंद्रों की अधिक ज़रूरत है। बाहर से आए लोग स्थानीय लोगों से मिलेंगे जुलेंगे और उन्हें भी संक्रमित करेंगे।’राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘ऐसे समय जब बिहार के लोग दूसरे राज्यों से संक्रमित होकर भूखे प्यासे किसी तरह अपने घर लौट रहे हैं, बीजेपी ने 9 जून को डिजिटल रैली का आयोजन किया है। यह उनकी संवेदनहीनता उजागर करती है।’
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